दरभंगा : बक्सर से लोकसभा सांसद अश्विनी चौबे ने कहा कि मैथिल कोकिल कवि विद्यापति की प्रतिमा शीघ्र ही संसद भवन के प्रांगण में स्थापित की जाएगी. इसके लिए संसद में प्रस्ताव पेश कर दिया गया है. इसे शीघ्र स्वीकृति मिल जाने की उम्मीद है. श्री चौबे ने दिल्ली के मावलंकर सभागार में अखिल भारतीय मिथिला संघ के तत्वावधान में आयोजित 49वें मिथिला विभूति स्मृति पर्व समारोह में यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इसी हफ्ते नियम 377 के तहत उन्होंने सदन में इस आशय का प्रस्ताव रखा है.
सांसद ने बिहार सरकार से मांग की कि बिहार विधानसभा प्रांगण में विद्यापति की प्रतिमा स्थापित करने की प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाए. मंच पर मौजूद बिहार सरकार के मंत्री मदन मोहन झा से उन्होंने इसकी अगुआई करने को कहा.
संसद परिसर में
उन्होंने कहा कि विद्यापति का न केवल साहित्यिक बल्कि आध्यात्मिक क्षितिज पर भी अद्वितीय योगदान है. सांसद ने कहा कि अंग क्षेत्र में जन्म होने के नाते वह महसूस करते हैं कि अंग व मिथिला कोई अलग इकाइयां नहीं है, बल्कि भाषिक, सांस्कृतिक साम्यता के आधार पर एक ही इकाई है.
समाज को बांधने का काम कर रही मैथिली भाषा : बिहार सरकार के भू-राजस्व मंत्री मदन मोहन झा ने कहा कि मैथिली भाषा संपूर्ण मिथिलांचल क्षेत्र की विभिन्न जातियों, धर्मों व अन्य समूहों को एक सूत्र में सदियों से बांधे हुए हैं.
चार विभूतियों को किया गया सम्मानित : कार्यक्रम के दौरान अलग अलग क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान करने वाले चार विभूतियों को विभिन्न सम्मानों से सम्मानित किया गया. साहित्य व अकादमिक जगत में योगदान के लिए बहुभाषी कवि, नाटककार, कोषकार, भाषाविद व अनुवादक तथा संप्रति कोलकाता स्थित विश्व भारती, शांति निकेतन के रवीन्द्र भवन में टैगोर अनुसंधान चेयर के प्रोफेसर व संस्थान के प्रथम प्रतिकुलपति उदय नारायण सिंह ‘नचिकेता’ को सर गंगानाथ झा स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया.
कार्यक्रम में सम्मािनत हो रहे दरभंगा के िनवासी कमलेश.
विद्यापति ने अट्टालिकाओं की ताकत को दी चुनौती
अध्यक्षता करते हुए राज्यसभा सांसद प्रभात झा ने कहा कि विद्यापति जैसे मनीषियों ने जो जीवटता दिखायी और संघर्ष के बीच अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर स्वयं को स्थापित किया, वह धूसरित माहौल से निकलने के बावजूद अट्टालिकाओं की ताकतों को चुनौती देने का साहस दिखाता है.