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ट्रबल शूटर … मेरी भी सुनो

ट्रबल शूटर … मेरी भी सुनो पेयजल की व्यवस्था करे प्रशासन गरमी बढ़ने के साथ ही पेयजल की समस्या खड़ी हो गयी है. साल-दर-साल यह विकराल रूप लेती जा रही है. प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा. सिर्फ बैठकों में निर्देश तथा प्रबंध करने का बयान देकर प्रमुखता से मीडिया में डालते हैं. धरातल […]

ट्रबल शूटर … मेरी भी सुनो पेयजल की व्यवस्था करे प्रशासन गरमी बढ़ने के साथ ही पेयजल की समस्या खड़ी हो गयी है. साल-दर-साल यह विकराल रूप लेती जा रही है. प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा. सिर्फ बैठकों में निर्देश तथा प्रबंध करने का बयान देकर प्रमुखता से मीडिया में डालते हैं. धरातल पर कोई सार्थक पहल नहीं हो रही. पिछले साल तक इस तरह की समस्या मई में हुआ करती थी. इस वर्ष मार्च से ही परेशानी शुरू हो गयी. शहर में कोई भी ऐसा चापाकल शायद नहीं है, जिसमें यह समस्या न हो. आधी रात के बाद अगर मोटर चलाते हैं तभी पानी चढ़ पाता है. उसमें भी पहले चापाकल को काफी पसीना बहाने के बाद धराना पड़ता है. अब तो लगता है घर में पीने के लिए भी पानी खरीदना पड़ेगा. सबसे बड़ी दिक्कत अगल-बगल में लोगों द्वारा अवैध तरीके से लगवा लिये गये समरसेबुल से हो रही है. प्रशासन को चाहिए कि वह इस परेशानी को दूर करने के लिए प्रत्येक घर में नल का कनेक्शन दे ताकि पेयजल की समस्या तो कम से कम न हो. पिछले वर्ष नगर निगम ने कई वार्डों में पानी का टैंकर भेजकर वितरण कराया था. अगर ठोस व्यवस्था न हुई तो पूरे शहर को टैंकर से ही पानी देना पड़ेगा. रमेश कुमार, कटहलबाड़ी, दरभंगा लंबी दूरी की ट्रेनों का बढ़े फेरा प्रमंडलीय मुख्यालय होने के कारण दरभंगा काफी भीड़ वाला इलाका है. यहां से यात्रियों का आवागमन भी अन्य स्टेशनों की तुलना में अधिक होता है. लेकिन ट्रेन कम रहने के कारण हम यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ती है. लंबी दूरी की ट्रेनों में जगह नहीं मिल पाती. इसको लेकर पिछले डेढ़ दशक से लंबी-लंबी बातें की जाती है, लेकिन समस्या का समाधान कोई नहीं करते. आज से तकरीबन पांच-छह वर्ष पूर्व तक रेलवे में दो सीजन हुआ करता था- एक पिक सीजन, दूसरा डल सीजन. डल सीजन में यात्रियों का दवाब कम होता था. आरक्षण मिल जाया करता था. लेकिन अब तो सालों भर पिक सीजन ही रहता है. शायद ही किसी ट्रेन में ऑन डिमांड रिजर्वेशन मिल पाता है. कोलकाता की ओर जानेवाली कुछ गाड़ी में तो पांच-छह महीने टिकट मिल जाता है, वरना दिल्ली, मुंबई आदि जानेवाली ट्रेनों में तो वेटिंग मिलना भी मुश्किल है. इस बीच में रेलवे ने मंंुबई के लिए चलनेवाली पवन एक्सप्रेस को नियमित किया है, लेकिन दिल्ली वाली स्वतंत्रता सेनानी का विस्तार कर दिया. विभाग अगर इस समस्या को दूर कर दे तो बड़ी राहत यात्रियों को मिलेगी. लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा. श्याम तालुका, खानकाह चौक, दरभंगा किशोरों के बाइक ड्राइविंग पर लगे रोक सड़क पर चलना खतरनाक हो गया है. कब किस गली से आकर कोई गाड़ी ठोक दे पता नहीं. इसमें अधिकांश किशोर वय के चालक रहते हैं. बेतरतीब तरीके से बाइक चलाना जैसे इस उम्र के बच्चों के लिए फैशन सा हो गया है. यातायात नियम का इनके लिए कोई मायने नहीं है. आड़े-तिरछे गाड़ी चलाते हुए महज दस कदम की दूरी में ही फुल स्पीड में अपनी गाड़ी को ले आते हैं. आश्चर्यजनक पक्ष यह है कि इस ओर प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा. हेलमेट की चेकिंग समय-समय पर होती है, लेकिन इसका असर इन बच्चों पर नहीं पड़ता. आठवीं कक्षा से लेकर इंटरमीडिएट तक के बच्चे की बाइकिंग से डर लगा रहता है. थाना के सामने से इनकी गाड़ी फर्राटा दौड़ती निकल जाती है. बिना लाइसेंस के ही अधिकांश किशोर गाड़ी चलाते रहते हैं. कई घटनाएं भी रफ ड्राइविंग की वजह से हो चुकी है. भीड़-भाड़ वाले इलाके भी इनकी रफ्तार पर असर नहीं डालते. प्रशासन को चाहिए कि इसपर पूरी तरह नकेल कसे. तभी लागू नये यातायात नियम का लाभ आम राहगीर को जहां मिल सकेगा, वहीं दुर्घटना की संख्या में भी कमी आयेगी. इसके लिए प्रशासन को सख्त कदम उठाने होंगे. ऐसी पकड़े जाने वाले किशोर के अभिभावकों को भी सजा देनी होगी. नीलू कुमारी, खाजासराय, लहेरियासराय

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