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कैंपस- शक्षिकिाओं के साथ अभद्र व्यवहार की शिकायत

कैंपस- शिक्षिकाओं के साथ अभद्र व्यवहार की शिकायत दरभंगा. राजकीय संस्कृत कॉलेज पटना के शिक्षक डा. कृष्णानंद पांडेय पर राजद महिला प्रकोष्ठ की डा. प्रमिला यादव ने आरोप लगाते हुए कहा कि अपने ही कॉलेज की शिक्षिकाओं के साथ वे अभद्र व्यवहार करते हैं. देर रात में अनावश्यक फोन कर उन्हें परेशान करते हैं. इस […]

कैंपस- शिक्षिकाओं के साथ अभद्र व्यवहार की शिकायत दरभंगा. राजकीय संस्कृत कॉलेज पटना के शिक्षक डा. कृष्णानंद पांडेय पर राजद महिला प्रकोष्ठ की डा. प्रमिला यादव ने आरोप लगाते हुए कहा कि अपने ही कॉलेज की शिक्षिकाओं के साथ वे अभद्र व्यवहार करते हैं. देर रात में अनावश्यक फोन कर उन्हें परेशान करते हैं. इस वजह से उस आरोपित शिक्षक का स्थानांतरण उस कॉलेज से अन्यत्र किया जाये. उनके खिलाफ आरोप लगाने वाली शिक्षिकाओं ने 5 जनवरी को उस कॉलेज के प्रधानाचार्य का घेराव भी किया था. बावजूद इसके कोई कार्रवाई आरोपित शिक्षक पर नहीं हुई. आरोप लगाने वाली शिक्षिकाओं की ओर से महिला प्रकोष्ठ की डा. यादव ने संस्कृत विवि के कुलपति से आरोपित शिक्षक को स्थानांतरित करने की मांग करते हुए कहा है कि अगर कार्रवाई नहीं होगी तो राजभवन में 18 जनवरी को प्रदेश के कुलपतियों की होनेवाली बैठक में पटना आने पर डा. देवनारायण झा का घेराव करेगी और राजभवन मार्च करेगी. पत्र मिलने की पुष्टि प्रभारी कुलसचिव डा. शिवलोचन झा ने की है. संस्कृत के माध्यम से ही प्राप्त की जा सकती है सफलताफोटो- 1परिचय- उद्घाटन करते संस्कृत विवि के वीसी डा. देवनारायण झा व अन्य.दरभंगा. रोजगारोन्मुखी योजनाओं की सफलता के लिए संस्कृत भाषा साहित्य की उपयोगिता पर वैश्वीकरण के युग में गंभीरतापूर्वक विचार किये जाने की जरूरत है. आज का समय पांडित्य प्रदर्शन के साथ आधुनिक विषयों की गुणवत्ता को आत्मसात करते हुए प्रगति पथ पर अग्रसर होने का है. वर्त्तमान प्रतिस्पर्द्धा में संस्कृत के माध्यम से ही उच्च स्तरीय परीक्षाओं में सफलता मिल सकती है. उक्त बातें कासिंदसं विवि के कुलपति डा. देवनारायण झा ने मिथिला शोध संस्थान की ओर से यूजीसी प्रायोजित कैरियर एंड काउंसिलिंग कार्यक्रम के तहत आयोजित विशेष उन्मुखीकरण कार्यक्रम के बतौर उद्घाटनकर्त्ता कही. उन्होंने वर्त्तमान युग में प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए संस्कृत की प्रासंगिकता एवं उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यूपीएससी, बीपीएससी, तथा अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में संस्कृत के माध्यम से सफलता प्राप्त की जा सकती है. मुख्य अतिथि जेएनयू के राजनीति विज्ञान के प्राध्यापक प्रो. सत्यनारायण प्रसाद ने शिक्षा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक एवं बौद्धिक विकास की प्रासंगिकता पर बल दिया. शहरी जुबा सहनी शोध संस्थान के निदेशक डा. हरिश्चंद्र सहनी ने नेट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए राजनीति विज्ञान एवं इतिहास के गंभीर अध्ययन को अपरिहार्य मानते हुए कैंब्रिज एवं आॅक्सफोर्ड विवि में प्रारंभिक स्तर से प्रतिस्पर्द्धात्मक अध्ययन अध्यापन की परंपरा को अनुकरणीय बताया. बतौर विशिष्ट अतिथि लनामिवि पीजी संस्कृत विभागाध्यक्ष डा. रामनाथ सिंह ने मानवता के विकास को संस्कृत के माध्यम से ही संभव देखते हुए नैतिक मूल्यों के क्षरण के लिए संस्कृत के ज्ञान के नितांत अभाव को मूल कारण बताया. डा. जयशंकर झा ने संस्कार, संस्कृति एवं संस्कृत के अन्योन्याश्रय संबंध की व्याख्या करते हुए कहा कि यह संसार भले ही बदल जाये परंतु मानव को अपना संस्कार नहीं बदलना चाहिए. कार्यक्रम को डा. कृष्ण कांत त्रिवेदी, डा. रेणुका यादव, डा. कुणाल कुमार, डा. योगेंद्र महतो, डा. महेंद्र यादव, रामप्रकाश पूर्वे, रामदेव राय आदि ने संबोधित किया. संस्थान के निदेशक डा. देवनारायण यादव ने आगत अतिथियों का स्वागत एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रकाश चंद्र झा ने किया. वहीं संचालन डा. मित्रनाथ झा ने किया.

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