\\\\टं३३ी१त्र/ू/रखामोश हो गयी मशीनें, प्लांट में पसरा सन्नाटा \\\\टं३३ी१त्र/र/इफोटो::::::::33,34,28, 31,32परिचय : खामोश पड़ी प्लांट की मशीन, विरान पड़े प्लांट, खड़ी गाडि़यां * घटना के बाद कर्मियों में दहशत व्याप्त * अब तक 52 कर्मी छोड़ चुके हैं कंपनी * कंपनी के चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर ने प्लांट पहुंचकर लिया जायजा * कर्मियों को दहशत से उबारने की हो रही कोशिश* प्लांट में तैनात किये गये हें बीएमपी के 17 जवान * काम ठप होने से प्रतिदिन एक किलोमीटर सड़क निर्माण है बाधित * मामला निजी कंपनी के दो इंजीनियरों की दिनदहाड़े हत्या का विनोद कुमार गिरि, दरभंगा : /इबेनीपुर के धरौरा -बहेड़ी मार्ग पर अवस्थित है जरिसो गांव. इसी गांव में सड़क के किनारे अवस्थित है बीएसी एंड सीएनसी कंपनी का प्लांट.यही कंपनी वरुणा से रसियारी तक 120 किलोमीटर लंबे सड़क का निर्माण कर रही है. 750 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली एसएच 88 के निर्माण के लिए कंपनी ने दो स्थानों पर प्लांट लगा रखे हैं. इसमें एक समस्तीपुर जिला के दलसिंहसराय में है जबकि दूसरा बेनीपुर के जरिसो में. पिछले 26 दिसंबर को अपराधियों ने लेबी नहीं देने को लेकर इस कंपनी के दो इंजीनियरों की बहेड़ी थाना के शिवराम में उस समय हत्या कर दी थी जब वे साइट पर काम करा रहे थे. एके 47 एवं नाइन एमएम जैसे पिस्टल से यह हत्या की गयी. घटनास्थल पर काफी संख्या में मजदूर एवं कंपनी के कर्मी भी थे. अपने दो इंजीनियरों की हत्या होता देख कंपनी के कर्मियों में दहशत का आलम व्याप्त हो गया. कर्मी प्लांट छोड़ कर घर लौटने लगे. बुधवार तक कुल 280 में से 52 कर्मी दहशत के कारण कंपनी छोड़कर चले गये. जो कर्मी बचे हैं उनमें अभी यह साहस नहीं हो रहा है कि वह साइट पर जाकर काम कर सकें. परिणाम यह हुआ कि पिछले चार दिनों से इस सड़क का निर्माण कार्य पूरी तरह ठप है. प्लांट की मशीनें खामोश पड़ी है. प्लांट के अंदर पूरी तरह से सन्नाटा है. प्रतिदिन सैकड़ों गाडि़यां प्लांट के अंदर प्रवेश करती थी और निकलती थी. कुछ अंदर में खड़े हैं तो कुछ प्लांट के बाहर सड़कों पर लगे हुए हैं. कर्मियों से गुलजार रहने वाले प्लांट में इक्के दुक्के कर्मी दिखे. सड़क बनाने वाली मशीने भी वैसे ही पड़ी हुई है. न मशीन का शोर और न ही कर्मियों का जमघट. पूरी तरह विरानगी के आलम में यह प्लांट आ गया है. घटना के बाद हालांकि प्रशासन के द्वारा बीएमपी के 17 जवानों के साथ साथ एक अवर निरीक्षक एवं तीन हवलदार की पोस्टिंग की जा चुकी है. फिर भी कर्मियों में दहशत बरकरार है. कंपनी के प्रोजेक्टर मैनेजर (एचआर) मेजर भुल्लर इसे स्वीकार करते हैं. उनका कहना है कि अपने आंखों के सामने कर्मियों ने हत्या होते देखा है. ऐसे में खौफ होना लाजिमी है. वैसे उन्होंने यह भी कहा कि कर्मियों के दहशत को दूर करने की कोशिश की जा रही है. कर्मियों में व्याप्त भय को समाप्त करने की कोशिश चल रही है. उस तरह का माहौल बनाया जा रहा है. संभव है अगले दो चार दिनों में सब नॉर्मल हो जाये. इसके बाद काम शुरु किया जायेगा. इधर, घटना के बाद चीफ प्रोजेक्टर मैनेजर बीके झा ने मंगलवार को साइट से लेकर प्लांट तक का जायजा लिया.अपने अधिकारियों एवं कर्मियों से बात की. इसके बाद एसएसपी से मिलने के लिए वे दरभंगा चले आये. एसएसपी के साथ आज मीटिंग थी. जिसमें सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया जाना था. यह रहा घटनाक्रम * रंगादारों के द्वारा बार बार रंगदारी की मांग की जा रही थी.* 17 दिसंबर को भी प्रोजेक्ट मैनेजर को फोन कर रंगदारी की मांग की गयी* 18 दिसंबर को प्रोजेक्ट मैनेजर ने इसकी लिखित सूचना बेनीपुर डीएसपी एवं थानाध्यक्ष को दी* 20 दिसंबर को डीएसएसपी ने बीएमपी के के जवानों की पोस्टिंग प्लांट पर की* 21 दिसंबर को कंपनी ने प्रोजेक्ट मैनेजर ने कंपनी छोड़ दी* 25 दिसंबर को उपलब्ध कराये गये बीएमपी के जवानों को वापस ले लिया गया* 26 दिसंबर को अपराधियों ने कंपनी के दो इंजीनियरों को गोलियों से भून डाला* 27 दिसंबर को प्रशासन ने बीएमपी के 17 जवानों के साथ साथ 3 हवलदार एवं एक अवर निरीक्षक की तैनाती की* 27 दिसंबर को ही पकड़ा गया घटना का कथित लाइनर पिंटू लाल देव* 28 दिसंबर को एसएसपी ने प्रेस कान्फ्रेंस कर 75 करोड़ रुपये लेबी मांगे जाने की पुष्टि की* 29 दिसंबर को एसएसपी ने 10 और बीएमपी के जवानों को प्रतिनियुक्त किया::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::/इकाम बंद होने से बैठ कर काटना पड़ता है समय फोटो :::::::29,30परिचय : कंपनी में कार्यरत आंध्र प्रदेश के मजदूर,आराम फरमाते मजदूर दरभंगा : /इबाबू, काम बंद है. इसलिए बैठ कर समय काटना पड़ता है. सुबह आठ बजे से 6 बजे तक काम करते हैं तब दो सौ रुपये मिलते हैं. एक्सट्रा काम करने पर हर घंटे के हिसाब से बीस रूपये ठेकेदार देता है. तीन दिन से तो बैठे हुए ही है. अपना खा रहे हैं. यह कहना हैं बीएसी एंड सीएनसी कंपनी में कार्यरत मजदूरों का. इस कंपनी में 35 मजदूर आंध्र प्रदेश के हैं. मजूदरों की ठेकेदार शंकरम्मा है जो इन मजदूरों को अपने साथ काम कराने के लिए लायी है. एक साल का कांट्रेक्ट कर वह मजदूरों को लाती है. इसमें पुरुषों के साथ साथ महिलाएं भी हैं. मजदूरों के साथ करीब आठ दस बच्चे भी हैं जो अपने मां बाप के साथ इसी प्लांट में बने अस्थायी घर में रहते हैं. हनुमन्ना, करप्पा, बद्री, लक्ष्मी, मीरा, अनसुईया, रम्मा इधर-उधर बैठ कर गप्पें लड़ा रहे हैं. पिछले तीन दिनों से काम ठप रहने के कारण इनकी परेशानी भी बढ गयी है. प्रतिदिन काम करने के एवज में मजूदरी दो सौ रुपये जो मिलता वह बंद है. हालांकि ठेकेदार के द्वारा अग्रिम के तौर पर खाने पीने के लिए पैसे दिये जाते हैं. इंजीनियरों की हत्या के काम ठप होने से इन गरीब मजदूरों पर भी असर पड़ा है. हालांकि कुछ मजदूरों ने बताया कि छोटा मोटा काम कंपनी के अंदर दिया जा रहा है. ईश्वर, अजम्मा, आसन्ना आदि भी इंजीनियर की हत्या से काफी मर्माहत हैं. इन लोगों में भी भय है. स्थानीय डखराम के प्रवीण कुमार भी इसी कंपनी में काम करते हैं. काम बंद रहने से वे भी परेशान हैं. वे कहते हैं घुमने फिरने के लिए चले आये थे. लोकल हैं न. अर्थात काम बंद होने सब के सब परेशान हैं. कंपनी को भी हो रहा प्रतिदिन नुकसान दरभंगा : पिछले चार दिनों से सड़क निर्माण कार्य ठप रहने से कंपनी को भी नुकसान हो रहा है. इसके साथ साथ निर्धारित समय तक कार्य पूरा होने में भी दिक्कतें होंगी. कंपनी के एचआर मैनेजर मेजर भुल्लर की मानें तो एवरेज प्रतिदिन डेढ सौ रुपये प्रतिदिन कंपनी के हर कर्मियों के भोजन, पानी, बिजली समेत अन्य चीजों पर खर्च होते हैं. इसके अलावा सबों की अलग अलग सैलरी है. दूसरी बात यह कि यह कार्य वर्ष 2013 में शुरु हुआ था. जनवरी 2018 में इसे पूरा कर देने का लक्ष्य है. जितने दिन काम ठप रहेंगे उससे प्रोजेक्ट के समय पर पूरा करने में भी दिक्कतें आयेंगी. इसलिए उनका भी प्रयास होगा कि जल्द से जल्द काम शुरु हो जाये. जिससे निर्धारित समय में कार्य पूरा हो सके. कंपनी को उलपब्ध कराये गये जवान प्रयाप्त नहीं जिला प्रशासन की ओर से बीएमपी के जवान उपलब्ध कराये गये हैं, जो दो शिफ्टों में कार्य करने के लिए पर्याप्त नहीं है. यह कहना है कि एचआर मैनेजर मेजर भुल्लर का. वे कहतें है किं सड़क निर्माण कार्य दिन रात चलता है. हमारे दो शिफ्ट के अधिकारी एवं कर्मचारी हैं. पर जिला प्रशासन ने जो फोर्स उपलब्ध कराया हैं वह पर्याप्त नहीं है. इतने और फोर्स उपलब्ध कराने चाहिए. जिससे दो शिफ्टों में कार्य किया जा सके. चूंकि जवानों को हम चौबीस घंटे ड्यूटी नहीं ले सकते. यह एक दो दिन की बात नहीं है. यह व्यवहारिक भी नहीं है.उन्होंने यह भी बताया कि इस बात को कंपनी के चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर एसएसपी से मिलकर उनके समक्ष रखेंगे.
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\\\\टं३३ी१त्र/ू/रखामोश हो गयी मशीनें, प्लांट में पसरा सन्नाटा \\\\टं३३ी१त्र/र/इफोटो::::::::33,34,28, 31,32परिचय : खामोश पड़ी प्लांट की मशीन, विरान पड़े प्लांट, खड़ी गाडि़यां * घटना के बाद कर्मियों में दहशत व्याप्त * अब तक 52 कर्मी छोड़ चुके हैं कंपनी * कंपनी के चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर ने प्लांट पहुंचकर लिया जायजा * कर्मियों को दहशत से उबारने […]
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