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\\\\टं३३ी१त्र/ू/रकम्बल बिन ठिठूर रहे हैं डीएमसीएच के मरीज

\\\\टं३३ी१त्र/ू/रकम्बल बिन ठिठूर रहे हैं डीएमसीएच के मरीज \\\\टं३३ी१त्र/रचादर लपेट जच्चा-बच्चा, करते रतजगाबेड 1050, कंबल आपूर्ति 170आलमीरा की शोभा बढ़ा रहा कंबल फोटो- 5, 6 , 7 व 8परिचय- 5- डीएमसीएच में बिना कंबल के बेड6, 7 व 8- नवजात को अपने गोद में ली हुई मां व परिवार के लोगदरभंगा : ठंढ ने दस्तक […]

\\\\टं३३ी१त्र/ू/रकम्बल बिन ठिठूर रहे हैं डीएमसीएच के मरीज \\\\टं३३ी१त्र/रचादर लपेट जच्चा-बच्चा, करते रतजगाबेड 1050, कंबल आपूर्ति 170आलमीरा की शोभा बढ़ा रहा कंबल फोटो- 5, 6 , 7 व 8परिचय- 5- डीएमसीएच में बिना कंबल के बेड6, 7 व 8- नवजात को अपने गोद में ली हुई मां व परिवार के लोगदरभंगा : ठंढ ने दस्तक दे दी है. डीएमसीएच के मरीज इस ठंढ मंे कं बल के बिना रतजगा कर रहे हैं. इसमें सबसे अधिक पीड़ा गायनिक वार्ड के जच्चा-बच्चा की है. कंबल के अभाव में दिन-रात ठिठुरते हुए रात जाग कर समय काट रहे हैं. ऐसे मरीजों पर ठंढ आफत की तरह है. मेटरनिटी वार्ड के कई खिड़की के शीशे टूटे हैं. ऐसे में खिड़कियों से कुहासे जच्चा-बच्चा के रुम में चला आता है जिससे दोनों की पीड़ा और बढ जाती है. पतले चादरों में लिपटे बच्चे ठंढ से चिल्लाते रहते हैं. ठंढ के मारे प्रसूता व बच्चे सो नहीं पाते. कंबल नहि अछि जगै छी रातिभरिमधुबनी जिला के रहुआ संग्राम गांव निवासी मिथिलेश कुमार सिंह की पत्नी नीतू सिंह को चार दिन पूर्व ऑपरेशन करके बच्चा हुआ है. परिजन ने बताया कि वह यहां पांच दिसंबर को भर्ती हुई थी. मरीज के गंभीर हालत को देख ऑपरेशन किया गया. इधर ठंढ अधिक बढ जाने से स्थिति विकट हो गयी है. चार पांच दिन पूर्व इतनी ठंढ नहीं होने के कारण गरम कपड़ा नहीं ला पाये. जो भी उनके पास चादर व साड़ी है. इन्ही कपड़ों से जच्चा-बच्चा को लपेट कर जान बचाने की प्रयास करते हैं. लेकिन इससे भी ठंढ कम नहीं हो पाता है. इसको लेकर जच्चा-बच्चा के साथ परिवार के लोग रतजगा करते हैं. पोहद्दी गांव निवासी ललित कुमार की पत्नी अमृता देवी को तीन दिसंबर को भर्ती कराया गया था. जिस दिन डिलेवरी हुआ उस दिन ठंढ कम थी. यहां कंबल नहीं मिलने की शिकायत की. गांव से खेंगरा व चादर मंगबाएं हैं. तब जाकर कुछ राहत मिली है, लेकिन वार्ड के भीतर कुहासे से बच्चा जच्चा बेहाल है. सकतपुर गांव निवासी संजय पांडेय की पत्नी गुड्डी देवी ने बताया कि गरीब को देखने वाला कोई नहीं है. अगर वह भी पैरवीकार या दबंग रहते तो हमारे जच्चा-बच्चा को ठंंढ की पीड़ा नही सहनी पड़ती. शिवनगर गांव निवासी राजकुमार की पत्नी प्रमिला देवी के परिजन बताते है कि चादर लपेट क र बच्चे को ठंढ से बचाने का प्रयास में लगे हैं. आगे भगवान मालिक हैं. वार्डों में बंटे कंबलडीएमसीएच प्रशाासन ने ठंढ से मरीजों को बचाने के लिए 170 कंबल की आपूर्ति वार्डों मेें की है. यह आपूर्ति 28 जनवरी से किया गया. मेडिसीन वार्ड के एक एवं दो मेें क्रमश: 30 व 20, महिला मेडिसीन वार्ड मेंं 15, आइसीयू व आइसीसीयू में 10 कं बल की आपूर्ति की गयी. गायनिक सीओटी में 15, लेवर रुम में 14, आइसीयू में 6, सर्जिकल भवन के हड्डी व सर्जरी वार्डों में 30 पीस कंबल की आपूर्ति की गयी.त्र बेड 1050 , कंबल की आपूर्ति 170डीएमसीएच प्रशासन ने करीब 800 मरीजों के लिए मात्र 170 कंबल की आपूर्ति की है. मेडिसीन वार्ड के दो में 150 मरीज भर्ती है, वहां 20 कंबल की आपूर्ति हुई है. सिस्टर इंचार्ज ने मरीजों के हिसाब से कंबल की आपूर्ति की है. लेकिन स्टोर में कं बल नहीं है. अस्पताल अधीक्षक डा. एसके मिश्राने बताया किमरीजों के बीच कंबल की आपूर्ति हो, इसकी जिम्मेवारी वार्डों के सभी हेल्थ मैनेजर कीहै. यह आदेश निर्गत कर दिया गया है. मरीजों को कंबल नहीं मिला तो नपेंगे हेल्थ मैनेजर.

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