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संकट से दुनिया को बचाने के लिए जहर भी पीना जानते हैं

संकट से दुनिया को बचाने के लिए जहर भी पीना जानते हैं चित्रगुप्त ट्रस्ट के कवि सम्मेलन में उठता रहा देशभक्ति का ज्वार हास्य-व्यंग्य की रचनाओं से लोटपोट होते रहे श्रोता दरभंगा : नगर भवन के जीर्णोद्धार के पश्चात नए लुक को देख निहाल शहरवासियों की शाम रंगीन हो गई. उद्घाटन समारोह में मंत्री के […]

संकट से दुनिया को बचाने के लिए जहर भी पीना जानते हैं

चित्रगुप्त ट्रस्ट के कवि सम्मेलन में उठता रहा देशभक्ति का ज्वार

हास्य-व्यंग्य की रचनाओं से लोटपोट होते रहे श्रोता

दरभंगा : नगर भवन के जीर्णोद्धार के पश्चात नए लुक को देख निहाल शहरवासियों की शाम रंगीन हो गई. उद्घाटन समारोह में मंत्री के कार्यक्रम के बाद जैसे ही कवियों ने मंच संभाला, माहौल पूरी तरह बदल गया. हास्य-व्यंग्य के वाण जहां मंच से छूटने लगे वहीं सामाजिक व्यवस्था पर नश्तर भी चलने लगे. व्यंग्य रचनाएं एक तरफ मीठी चुभन का एहसास करा रही थी, तो दूसरी ओर हास्य रचनाएं लोटपोट करने के लिए विवश कर रही थी, जबकि देशभक्ति के भाव से लबरेज रचनाएं हृदय में राष्ट्रप्रेम का ज्वार उठा रही थी.

देर रात तक श्रोता इसका रसपान करते रहे. सुरेश अवस्थी ने अपनी पंक्ति ‘ हम हिंदुस्तानी मुसीबतों में फटी चादर सीना जानते हैं, भगवान शिव शंकर के वंशज हैं जो दुनिया को संकट से बचाने के लिए जहर भी पीना जानते है’ से भारतीय सांस्कृतिक विरासत को आवाज दी. वहीं अपने अनोखे अंदाज के लिए मशहूर एहसान कुरैशी ने व्यंग्य रचना के माध्यम से नई पौध के भाव को आनंददायक स्वरूप में पेश किया. स्कूल के सामने बोर्ड लगा था कृपया गाड़ी धीरे चलाएं ताकि बच्चे दब न जाएं एक बच्चे ने लिखा एक भी शिक्षक बच न पाएं पंक्ति पर श्री कुरैशी ने खूब तालियां बटोरी. इनके अलावा कीर्ति माथुर, प्रख्यात मिश्र, गजेंद्र सोलंकी, एवं प्रताप फौजदार ने श्रोताओं को खूब गुदगुदाया एवं राष्ट्रीय चिंतन के प्रति झकझोरा.

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