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लोकसभा चुनाव : गठबंधनों के समीकरण और उम्मीदवार बदलने से दिलचस्प बन गया है दरभंगा में मुकाबला

दरभंगा :बिहारमें ‘मिथिलांचल का दिल’ कहे जाने वाले दरभंगा में इस बार के लोकसभा चुनावों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर से जहां भाजपा के उम्मीदवार गोपाल ठाकुर चुनाव मैदान में हैं. वहीं, विपक्षी महागठबंधन से राजद के उम्मीदवार अब्दुल बारी सिद्दिकी अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं. दोनों उम्मीदवारों को जाति और धर्म […]

दरभंगा :बिहारमें ‘मिथिलांचल का दिल’ कहे जाने वाले दरभंगा में इस बार के लोकसभा चुनावों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर से जहां भाजपा के उम्मीदवार गोपाल ठाकुर चुनाव मैदान में हैं. वहीं, विपक्षी महागठबंधन से राजद के उम्मीदवार अब्दुल बारी सिद्दिकी अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं. दोनों उम्मीदवारों को जाति और धर्म के आधार पर अपनी जीत नजर आ रही है जिससे मुकाबला काफी दिलचस्प प्रतीत होता है.

बलनी गांव के शिवनारायण झा का कहना है कि दरभंगा लोकसभा सीट के लोगों के लिए बाढ़ और सूखा मुख्य मुद्दा है. कोशी नदी के चलते इस जिले को हर साल बाढ़ का सामना करना पड़ता है. वहीं यहां के किसानों को सुखे के चलते भी परेशानी झेलनी पड़ती है. यह क्षेत्र मखाना के लिये प्रसिद्ध है और बारिश की कमी का प्रभाव मखाना उत्पादन पर भी पड़ता है. इस पर ध्यान देने की जरूरत है.

बहादुरपुर के फूले अशरफ पेशे से राजमिस्त्री हैं. वह कहते हैं कि यहां रोजगार के लिए खेती के सिवा कोई दूसरा विकल्प नहीं है. हर साल हजारों की संख्या में लोग यहां से पलायन करते हैं. कई पुराने कारखाने बंद पड़े हैं. स्कूलों और विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है. ऐसे में अभी क्षेत्र में काफी काम करने की जरूरत है.

राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि यहां वैसे तो आमने-सामने की लड़ाई दिख रही है, लेकिन भाजपा द्वारा वर्तमान सांसद कीर्ति आजाद और राजद द्वारा पूर्व सांसद मोहम्मद अली अशरफ फातमी को टिकट नहीं देने और दोनों गठबंधनों के समीकरण और उम्मीदवार बदलने के बाद मुकाबला दिलचस्प बन गया है.

दरभंगा में 29 अप्रैल को मतदान होना है. इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने मुस्लिम उम्मीदवार मोहम्मद मोख्तार को चुनावी मैदान में उतारकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है. ऐसे में फातमी की बगावत का राजद को इस सीट पर नुकसान होने की आशंका व्यक्त की जा रही है जो इस क्षेत्र के कद्दावार नेता माने जाते हैं.

दिलचस्प बात यह है कि महागठबंधन की ओर से इस सीट पर वीआईपी पार्टी के नेता मुकेश सहनी ने दावा किया था, हालांकि अब वह खगड़िया से चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए जदयू के संजय झा अपनी दावेदारी पेश कर रहे थे. मोहम्मद अली अशरफ फातमी दरभंगा सीट से चार बार सांसद रहे हैं. वर्ष 2014 में मोदी लहर के बावजूद मात्र 36 हजार वोटों से हारे थे. दरभंगा से टिकट नहीं मिलने पर फातमी ने पार्टी से मधुबनी से टिकट देने का आग्रह किया था, लेकिन उन्हें मधुबनी से भी टिकट नहीं मिला.

कीर्ति आजाद इस सीट पर 1999, 2009, 2014 में जीत दर्ज कर चुके हैं. आजाद कांग्रेस में शामिल हो गये हैं और यह सीट महागठबंधन में राजद को मिली है. ऐसे में वे इस सीट से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. मुस्लिम, ब्राह्मण और यादव बहुल मतदाताओं वाले इस क्षेत्र में इस बार अति पिछड़ा वर्ग मतदाताओं की गोलबंदी परिणाम को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है. अपने समृद्ध अतीत और प्रसिद्ध दरभंगा राज के लिए मशहूर इस संसदीय क्षेत्र में विधानसभा की छह सीटें आती हैं गौरा बौरम, बेनीपुर, अलीनगर, दरभंगा ग्रामीण, दरभंगा और बहादुरपुर. 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में इन छह सीटों में से तीन सीट राजद, दो सीट जदयू और एक सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी.

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