दरभंगा : कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ सर्वनारायण झा ने कहा कि ज्ञान जब विज्ञान में बदलता है, तब सिद्धि प्राप्त होती है. ज्ञान व्यवहार के बिना भार है. इसीलिए ज्ञान एवं विज्ञान का जुड़ाव आवश्यक है. उन्होंने कहा कि मनुष्य की प्रवृति है कि वह अच्छा काम करे वह बुरा काम नहीं करे.
जिस तरह नल के जल की प्रवृति नीचे की ओर बहना है, उसी तरह मनुष्यों की प्रवृति नीचे की ओर बढ़ती है. इसे ऊपर की ओर बढ़ाने में योग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. वे बुधवार को विवि की ओर से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर दरबार हॉल में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को संसार का सबसे बड़ा योगी बताते हुए कहा कि गीता में कृष्ण ने कहा है कि तपस्वी एवं ज्ञानियों से भी बड़ा योगी होता है.
योग के प्रति नयी पीढ़ी को जोड़ना जरूरी : प्रतिकुलपति
प्रतिकुलपति डॉ चंद्रेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि आज का दिवस योग करने का नहीं बल्कि नई पीढ़ी को साथ जोड़ने का है. उन्होंने कहा कि विश्व के देशों में योग की महत्ता अभ्यास, स्वीकार्यता पर सभी जगह चर्चाएं हो रही है. अशांति से छुटकारा पाने के लिए योग की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि योग चित्त की चंचलता को रोकता है. पूर्व कुलपति डॉ उपेंद्र झा ने कहा कि दीर्घजीवन के लिए योग सबसे आवश्यक है. उन्होंने कहा कि योग कुशलता के साथ किया जाना आवश्यक है.
अध्ययन अध्यापन को भी योग से ही जीवन मिलता है. डॉ झा ने कहा कि मनरूपी अश्व पर लगाम लगाने में योग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. कुलसचिव डॉ शक्तिनाथ झा ने कहा कि जीवन में योग का स्थान होना आवश्यक है. इससे आनंद एवं स्वस्थ्य की अनुभूति होती है. मौके पर डॉ विद्येश्वर झा, डॉ श्रीपति त्रिपाठी, डॉ श्रवण कुमार चौधरी, डॉ हरेंद्र किशोर झा, डॉ नवीन कुमार झा, डॉ पवन कुमार झा, डॉ अवधेश कुमार चौधरी, डॉ अशोक आजाद आदि मौजूद थे. धन्यवाद ज्ञापन एनएसएस समन्वयक डॉ सुधीर कुमार झा ने किया. योगाभ्यास के दौरान योग प्रशिक्षक राम विनोद ठाकुर ने आंखों का योग एवं डॉ रीता सिंह ने न्यास योग का अभ्यास कराया. कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया.