Bihar News: पंजाब सरकार में प्रधान सचिव और पश्चिमी चंपारण के पूर्व जिलाधिकारी (डीएम) दिलीप कुमार की कानूनी परेशानियां बढ़ गई हैं. साल 2008 में उनके खिलाफ दर्ज एक आपराधिक मामले में अब कोर्ट ने उनके आवेदन को खारिज करते हुए कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है, साथ ही उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया है. यह आदेश बेतिया के अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी (एसडीजेएम) शशांक शेखर की अदालत ने दिया है. अदालत ने स्पष्ट कहा है कि दिलीप कुमार को अब स्वयं कोर्ट में हाजिर होकर आत्मसमर्पण करना होगा.
क्या है मामला?
यह मामला साल 2008 का है, जब बेतिया सिविल कोर्ट के वकील ब्रजराज श्रीवास्तव ने तत्कालीन डीएम दिलीप कुमार के खिलाफ एक आपराधिक परिवाद (मामला संख्या- 2260/2008) दायर किया था. ब्रजराज श्रीवास्तव का आरोप था कि महावीर झंडा विवाद को लेकर जिलाधिकारी दिलीप कुमार ने समाहरणालय में शांति समिति की बैठक बुलाई थी.
बैठक में उन्होंने ब्रजराज श्रीवास्तव और विजय कश्यप को समझौता पत्र पर हस्ताक्षर करने को कहा. जब दोनों ने उसमें सुधार की बात कही तो डीएम नाराज हो गए और दोनों को बाहर निकालकर अलग कमरे में बैठा दिया.
बैठक के बाद जिलाधिकारी सिविल ड्रेस में कुछ लोगों के साथ आए और गाली-गलौज, मारपीट की और फिर दोनों को हथकड़ी लगाकर थाने में बंद करा दिया. रात 9:30 बजे डीएम थाने पहुंचे और पुलिस से पिटवाने के बाद दोनों को रात 12 बजे जेल भेज दिया गया.
मामले पर कोर्ट ने कई बार सुनवाई की और अंततः दिलीप कुमार के खिलाफ संवेदनशील धाराओं में संज्ञान लिया गया. कोर्ट ने उन्हें पेश होने के लिए पहले समन भी भेजा था, लेकिन वो पेश नहीं हुए.
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धारा 205 का आवेदन हुआ खारिज, कानूनी कार्रवाई हो सकती है तेज
20 सितंबर 2024 को दिलीप कुमार ने अदालत में दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 205 के तहत एक अर्जी दी, जिसमें उन्होंने खुद की उपस्थिति से छूट मांगी थी. उनका तर्क था कि वो इस समय पंजाब सरकार में प्रधान सचिव के पद पर कार्यरत हैं और सरकारी कामों में व्यस्त रहते हैं, इसलिए उनकी जगह वकील कोर्ट में पेश हो और पैरवी करें.
कई सुनवाइयों के बाद अदालत ने इस याचिका को खारिज कर दिया और उन्हें अब खुद कोर्ट में पेश होकर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया है. साथ ही जमानतीय गिरफ्तारी वारंट भी जारी कर दिया गया है. अब दिलीप कुमार को जल्द ही बेतिया कोर्ट में हाजिर होकर आत्मसमर्पण करना होगा. यदि वे समय पर कोर्ट में नहीं पहुंचते हैं तो कानूनी कार्रवाई और तेज हो सकती है.
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