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आषाढ़ में अधिक मास का योग
बेतिया : ग्रह-नक्षत्रों की चाल से इस वर्ष अधिक मास का योग बना है. 30 दिन का यह पुरुषोत्तम मास अगले माह आषाढ़ में पड़ रहा है. लिहाजा इस बार त्योहार मनाने के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा. अधिक मास पड़ने के कारण पर्व रक्षाबंधन, नवरात्र, दीवाली, छठ सभी पर्व करीब एक पखवारा देरी से […]
बेतिया : ग्रह-नक्षत्रों की चाल से इस वर्ष अधिक मास का योग बना है. 30 दिन का यह पुरुषोत्तम मास अगले माह आषाढ़ में पड़ रहा है. लिहाजा इस बार त्योहार मनाने के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा. अधिक मास पड़ने के कारण पर्व रक्षाबंधन, नवरात्र, दीवाली, छठ सभी पर्व करीब एक पखवारा देरी से आयेंगे.
उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक पंडित दिवाकर त्रिपाठी के मुताबिक, अगले माह 17 जून से आषाढ़ में अधिक मास शुरू होगी. जो 16 जुलाई तक रहेगा. अधिक मास को पुरुषोत्तम मास माना जाता है. इसके स्वामी भगवान विष्णु होते हैं. पौराणिक मान्यता है कि इस अवधि में तीर्थ-यात्र करना श्रेयस्कर है. धार्मिक कार्यों का पुण्य इस माह में कई गुना मिलता है. यह मास संक्रांति रहित होता है.
तीन साल में अधिक मास
पंडित दिवाकर ने बताया कि हिन्दु काल गणना के अनुसार हर साल पर्व, त्योहार में दस दिन का अंतर आता है, जो तीसरे साल अधिक मास का योग बनाता है. इससे पहले 2012 में अधिक मास पड़ा था. इसे पुरुषोत्तम मास या मलमास भी कहते हैं.
अबकी पांच माह शयन करेंगे श्री हरि
इस वर्ष अधिक मास का योग बनने के कारण भगवान श्री हरि पांच माह शयन करेंगे. जो 12 जून(हरिशयनी एकादशी) से 22 नवंबर (प्रबोधिनी एकादशी) तक होगा. इस पांच माह की अवधि में मांगलिक कार्य, ग्रह प्रवेश, मुंडन संस्कार आदि निषेध रहेंगे.
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