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सभापति फंसे, बाकी का क्या होगा !

बेतिया : नप के चर्चित 49 लाख के शौचालय घोटाला में नप सभापति जनक साह एक बार फिर फंस गये है. आइजी पारस नाथ ने नप सभापति के गिरफ्तारी पिछले दिनों रोक लगा दिया था. लेकिन इधर आइजी ने फिरअपने आदेश को पलट दिया है. जिससे नप सभापति की मुश्किल बढ़ गयी है. न्यायालय में […]

बेतिया : नप के चर्चित 49 लाख के शौचालय घोटाला में नप सभापति जनक साह एक बार फिर फंस गये है. आइजी पारस नाथ ने नप सभापति के गिरफ्तारी पिछले दिनों रोक लगा दिया था.
लेकिन इधर आइजी ने फिरअपने आदेश को पलट दिया है. जिससे नप सभापति की मुश्किल बढ़ गयी है. न्यायालय में भी उनकी अग्रिम जमानत याचिका भी लंबित है. जबकि इस मामले में अन्य पार्षदों पर अभी जांच लटकी हुई है. सभापति को संचिका से छेड़छाड़ के मामले अप्राथमिकी अभियुक्त बनाया गया है. जबकि उपसभापति समेत 25 पार्षदों पर भी गलत अनुशंसा का आरोप है.
एसडीपीओ रामानंद कौशल ने बताया कि पार्षदों के अनुशंसा की जांच चल रही है. अगर गलत अनुशंसा किये थे तो उनके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जायेगी. नप सूत्रों के अनुसार, सिटी मैनेजर दीपक कुमार तिवारी ने शौचालय निर्माण की जांच अधिकारी थे. उन्होंने अपने रिपोर्ट में बताया हैं कि उसवक्त तक मात्र 100 शौचालय का ही निर्माण हुआ था. जबकि 360 शैचालय के निर्माण का भुगतान नप द्वारा कर दिया गया था.
पार्षदों ने निर्माण का किया था सत्यापन
जिन वार्ड में शौचालय का निर्माण हुआ था.उसका सत्यापन उसी वार्ड नगर पार्षद ने फोटो युक्त शौचालय पूर्ण होने की अनुशंसा की थी. जबकि उनके वार्ड में शौचालय निर्माण नहीं हुआ था. गलत अनुशंसा प्रमाण पत्र के आधार को हवाला बताते हुए नप प्रशासन ने राशि का भुगतान किया था. इधर नप के नियमों के अनुसार बताया जा रहा हैं कि पार्षदों का भुगतान में अनुशंसा की जरूरत नहीं है. फिर गलत अनुशंसा पार्षदों ने क्यो की? सवाल उठ रहा हैं कि पार्षदों की मिली भगत तो इसमें नहीं थी तो इनके खिलाफ कार्रवाई आज तक लटकी क्यों है?

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