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चार साल में दोगुने हुए बाघ

।। सुनील आनंद ।।बेतिया : वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना के जंगल में चार वर्ष के बाद बाघों की गणना हुई. कैमरा ट्रैप में कैद की गयी तसवीरों से मिले प्रमाण के अनुसार वन आश्रणी में 17 प्रौढ़ बाघ हैं. चार वर्ष में बाघों की संख्या दुगुनी से भी अधिक हुई है. बाघ के शावक की तसवीरें […]

।। सुनील आनंद ।।
बेतिया : वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना के जंगल में चार वर्ष के बाद बाघों की गणना हुई. कैमरा ट्रैप में कैद की गयी तसवीरों से मिले प्रमाण के अनुसार वन आश्रणी में 17 प्रौढ़ बाघ हैं. चार वर्ष में बाघों की संख्या दुगुनी से भी अधिक हुई है. बाघ के शावक की तसवीरें भी कैमरा ट्रैप में आयी हैं. उसका आकलन अभी नहीं हो पाया है.

हालांकि अभी कैमरा ट्रैप में आयी तसवीरों की एक्सपर्ट जांच कर रहे हैं. अगस्त में वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना में बाघों की वास्तविक स्थिति का रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत किया जायेगा. कैमरा ट्रैप की तसवीर को देख वन विभाग के अधिकारी खासे उत्साहित हैं. वन अधिकारियों का कहना है कि बाघों की सुरक्षा एवं संरक्षण में किये गये खर्च एवं वन विभाग के प्रयासों का सार्थक परिणाम सामने आया है.

कैमरा ट्रैप से कैसे होती है गणना : एक्सपर्ट बताते हैं कि बाघों की गणना के लिए लगाये कैमरा ट्रैप में वास्तविक स्थिति आ सकती है, यदि कैमरा ट्रैप लगाने के लिए सही स्थल का चुनाव हो. बाघों की आश्रणी वाले इलाकों एवं उसके आसपास के एरिया में कैमरा ट्रैप लगाना जरूरी है. जहां बाघों की गतिविधि से संबंधित तसवीरें कैमरा ट्रैप में कैद हो. एक्सपर्ट का कहना है कि जिस प्रकार व्यक्ति की तसवीरें एक जैसी नहीं होती, वैसे ही स्थिति बाघों के साथ भी है. बाघों की तसवीरें भी एक जैसी नहीं होती है. इस आधार पर बाघों की गणना की गयी है.

* वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना एक नजर में
* 1234.43 वर्ग किमी का इको – सेंसेटिव जोन
* इको – सेंसेटिव जोन को 28 गांव
* इको – सेंसेटिव जोन में 49.32 वर्ग किमी में गैर वन क्षेत्र
* इको – सेंसेटिव जोन में 32.78 वर्ग किमी में वन क्षेत्र
* इको – सेंसेटिव जोन में जिले के 6 प्रखंडों के गांव
* वन आश्रणी से गैंडा, स्लौथ, बीयर, पायथन लुप्त हो रहे हैं.
* वन आश्रणी के अंदर हैं 95 जलधाराएं
* इको – सेंसेटिव जोन में रामनगर प्रखंड के 27 गांव और बगहा का एक गांव
* इको – सेंसेटिव जोन में प्रतिबंधित
* इको – सेंसेटिव जोन में प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों की अनुमति नहीं
* लकड़ी पर आधारित उद्योगों को नहीं दी जायेगी अनुमति
* खनन व्यवसाय के लिए नहीं दी जायेगी अनुमति
* वन आश्रणी में 300 मीटर की दूरी के भीतर नहीं होगा कोई नया निर्माण
* इको – सेंसेटिव जोन में प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल नहीं किया जायेगा
* इको – सेंसेटिव जोन में ठोस अवशिष्टों को जलाने की नहीं दी जायेगी अनुमति

– बोले वन निदेशक
वाल्मकि व्याघ्र परियोजना के जंगल में बाघों के संरक्षण के किये गये प्रयास सफल हुए हैं. बाघों की गणना का कार्य पूरा कर लिया गया है. कैमरा ट्रैप में आयी तसवीरों की जांच एक्सपर्ट कर रहे हैं. बाघों की तसवीरें कैमरा ट्रैप में 17 दिख रही है. निश्चित तौर पर चार साल बाद हुई बाघों की गणना में सार्थक प्रगति दिख रही है. अगस्त माह में बाघों की गणना का रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत किया जा सकता है.
संतोष तिवारी, वन निदेशक

* कैमरा ट्रैप में दिखे 17 बाघ
* वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना में चार वर्ष बाद हुई बाघों की गणना

Prabhat Khabar Digital Desk
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