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बाघों के िलए क्रॉपिंग पैटर्न बदलने की तैयारी

बेतिया : जिला अंतर्गत वाल्मीकि टाईगर रिजर्व ने अपने आसपास के क्षेत्रों के क्रॉपिंग पैटर्न में बदलाव लाने की दिशा में पहल शुरू कर दी है. पिछले साल से वीटीआर के विभिन्न क्षेत्रों से बाघों के भटकाव एवं इसके आसपास के इलाके में पहुंच जाने की घटना के चलते वीटीआर प्रशासन इस योजना पर कार्य […]

बेतिया : जिला अंतर्गत वाल्मीकि टाईगर रिजर्व ने अपने आसपास के क्षेत्रों के क्रॉपिंग पैटर्न में बदलाव लाने की दिशा में पहल शुरू कर दी है. पिछले साल से वीटीआर के विभिन्न क्षेत्रों से बाघों के भटकाव एवं इसके आसपास के इलाके में पहुंच जाने की घटना के चलते वीटीआर प्रशासन इस योजना पर कार्य कर रहा है.

वीटीआर प्रशासन ने इस वर्ष के वार्षिक कार्ययोजना में इसको शामिल किया है. विभागीय पहल होनी है कि इस क्षेत्र के किसान गन्ने के बदले ऐसे नकदी फसलों का चयन करें, जिससे उनकी आय भी हो और बाघों के छिपने की जगह भी नहीं मिले. ऐसा माना जा रहा है कि गन्ने की खेत ही बाघों के छिपने के लिए अनुकूल हैं. क्रापिंग पैटर्न बदलने के लिए किसानों को प्रशिक्षित करने के साथ-साथ गन्ने की जगह समान आमदनी वाली नयी फसल का चयन भी करना होगा.

वीटीआर प्रशासन ने इस वर्ष की कार्ययोजना में इसे प्राथमिक रूप से स्वीकृति पर ही जोर दिया है. वहां से स्वीकृति मिल जाने के बाद किसानों को जानकारी दी जायेगी कि वह गन्ने की जगह किस फसल का चयन करे. जानकार बताते हैं कि अन्य नेशनल पार्क क्षेत्रों से बाघों एवं अन्य वन्य प्राणियों के भटकने की घटना कोई नई नहीं है.
लेकिन वीटीआर क्षेत्रों से इस घटना में अधिक बढ़ोतरी हुई है. इसका मुख्य कारण गन्ने के खेत है. बाघों के भटकाव को रोकने के लिए क्रापिंग पैटर्न बदलने की योजना देश में पहली बार कोई भी नेशनल पार्क या टाईगर रिजर्व प्रशासन कर रहा है. बाघों के भटकाव से आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में जान माल की क्षति भी हुई है. इसे प्रमुखता से लेते हुए यह पहल की जा रही है.

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