सिकटा : सीमावर्ती क्षेत्र की सड़कें अब अतिक्रमणकारियों के कब्जे के कारण संकीर्ण हो चली हैं. स्थानीय जनप्रतिनिधियों की वोट बैंक और अधिकारियों के लालफीताशाही के कारण स्थिति विकट बन गयी है. बाजार समेत सीमाई रास्तों की सड़कें अतिक्रमण के कारण सिकुड़कर अब दुपहिया वाहनों के चलने लायक नहीं रही. आम लोग जब जनप्रतिनिधियों से […]
सिकटा : सीमावर्ती क्षेत्र की सड़कें अब अतिक्रमणकारियों के कब्जे के कारण संकीर्ण हो चली हैं. स्थानीय जनप्रतिनिधियों की वोट बैंक और अधिकारियों के लालफीताशाही के कारण स्थिति विकट बन गयी है. बाजार समेत सीमाई रास्तों की सड़कें अतिक्रमण के कारण सिकुड़कर अब दुपहिया वाहनों के चलने लायक नहीं रही.
आम लोग जब जनप्रतिनिधियों से इस मुद्दे पर बातचीत करते हैं तो वे अपना पल्ले झाड़ लेते हैं. उन्हें डर रहता है कि कहीं उनका वोट बैंक न खिसक जाय. इधर जनप्रतिनिधियों के खौफ से कोई भी पदाधिकारी इस अतिक्रमण का मामला सुनते चुप्पी साध लेता है. पदाधिकारी कहते हैं कि हमसे यह नहीं होगा. अतिक्रमण हटाने के लिए कई बार नोटिस भेजी गयी है और पुलिस बल तथा मजिस्ट्रेट की तैनाती के लिए पत्र लिखे गये हैं.
इसी पेंच में लंबे समय से इस बाजार से अतिक्रमण हटाने का मामला खटाई में पड़ा है. बाजार के रेंजन अग्रवाल, उपसरपंच अमरेंद कुमार उर्फ सोनू, दिलीप जायसवाल, रवींद्र गुप्ता, आदि का कहना है कि बाजार में अतिक्रमण की होड़ मची है.
किसी तरह की कार्रवाई नहीं होने से उनका मनोबल निरंतर बढ़ता जा रहा है. स्थिति यहां तक पहुंच गयी है कि बाजार की सड़कें अब पैदल चलने के लायक भी नहीं रही. इन लोगों ने जिला पदाधिकारी से इस अतिक्रमण हटाने की दिशा में हस्तक्षेप करने की मांग की है.