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जिले में टोलासेवक की बहाली में 324 नियुक्ति फर्जी?

मोतिहारी :पूर्वी चंपारण जिले में टोला सेवकों की बहाली में फर्जीवाड़ा का खेल जांच के साथ परत दर परत खुलने लगी है. 215 रिक्ति के विरूद्ध 324 बहाली हुई थी, जिसमें जांच के बाद 112 को अवैध करार दिया गया. फिर जब नये सिरे से उसकी जांच की जा रही है तो मात्र चार ही […]

मोतिहारी :पूर्वी चंपारण जिले में टोला सेवकों की बहाली में फर्जीवाड़ा का खेल जांच के साथ परत दर परत खुलने लगी है. 215 रिक्ति के विरूद्ध 324 बहाली हुई थी, जिसमें जांच के बाद 112 को अवैध करार दिया गया. फिर जब नये सिरे से उसकी जांच की जा रही है तो मात्र चार ही टोला सेवक निर्धारित तिथि 30 नवंबर 2014 तक बहाल हो पाये थे. शेष 324 की बहाली निर्धारित तिथि बितने के बाद हुई. इस दौरान टोला सेवकों में वैध-अवैध बहाली को ले दर्जन बार अनशन कर चुके हैं.

12वां अनशन 26 सितंबर को समझौता के बाद समाप्त हुआ. समझौता में स्पष्ट लिखा गया है कि चार लोगों की बहाली निर्धारित अवधि में हुई है. वैसे में सवाल उठता है कि 324 लोगों की बहाली अवैध तो नहीं. मामले में गड़बड़ी को ले पूर्व में डीइओ, डीपीओ, कार्यालय सहायक, बीइओ पर प्राथमिकी दर्ज हो चुकी है.

शुक्रवार को समझौता के पूर्व बहाली प्रक्रिया की सूक्ष्म जांच एनडीसी राजकिशोर लाल, एसडीओ प्रियरंजन राजू, डीइओ ललित नारायण रजक व डीपीओ अश्विनी कुमार द्वारा की गयी. मिली जानकारी के अनुसार डीइओ के पत्रांक 332 दिनांक 22 नवंबर 2014 के पत्र 215 व 217 के निर्देश के आलोक में 30 नवंबर 14 तक 215 टोला सेवकों की बहाली करनी थी. लेकिन निर्धारित तिथि तक मात्र चार अनुबंध पर बहाली हुई.

एक साल में कार्य अच्छा होने पर अवधि विस्तार करना था, लेकिन विभाग ने बिना जांच के 16 माह काम कराकर 113 लोगों की छंटनी कर दी यह कहते हुए कि ज्यादा बहाली हुई है. ऐसे में सवाल उठता है कि करीब दो करोड़ रूपये मानदेय के रूप में भुगतान हुआ तो इसके लिए जिम्मेवार कौन? रिक्ती से अधिक बहाली हुई तो किसके आदेश से. इन तमाम बिंदुओं पर टीम गठित कर जांच की जाये तो एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आ सकता है. राष्ट्रीय मानवाधिकार अभियान समिति के संयोजक राजू बैठा ने चार को छोड़ शेष को फर्जी बता कार्रवाई की मांग की है.

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