19.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

…..जब 100 साल पहले बापू के साथ चंपारण आये थे स्वच्छता दूत

चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष के समापन के मौके पर देश भर से पहुंचे हैं 20 हजार स्वच्छाग्रही गौनाहा : आज से सौ साल पूर्व जब महात्मा गांधी चंपारण आये थे तो उनके साथ भी स्वच्छाग्रही थे. गांधी जी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने के बाद भारत भ्रमण पर थे. इस क्रम में उन्हें लगा कि […]

चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष के समापन के मौके पर देश भर से पहुंचे हैं 20 हजार स्वच्छाग्रही
गौनाहा : आज से सौ साल पूर्व जब महात्मा गांधी चंपारण आये थे तो उनके साथ भी स्वच्छाग्रही थे. गांधी जी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने के बाद भारत भ्रमण पर थे.
इस क्रम में उन्हें लगा कि हमारे देश में दुर्दशा का सबसे बड़ा कारण यहां की गंदगी है. चंपारण आने के बाद गांधी जी ने यहां मूलभूत समस्याओं का समाधान राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं करके अपने सृजनात्मक कामों के द्वारा इन समस्याओं का हल निकालने का प्रयास किया और इसी प्रयास के बदौलत यहां के जनता का स्तर ऊंचा करने की सोच बनायी.
गांधी जी ने गंदगी के तीन कारणों को चंपारण में चुना. गांधी जी ने देखा व समझा कि लोग अपने घरों की सफाई तो कर लेते है, लेकिन कूड़ा- कचरा अपने घर के अगल-बगल फेंक कर गंदगी को बढ़ावा देते थे.
जागरुकता की कमी के कारण लोग यह नहीं समझ पाते थे कि यहीं इनकी बीमारी की प्रमुख वजह भी हो सकती है. यह देख गांधी जी ने बंबई, पूणे व गुजरात से उनके साथ आये स्वंयसेवकों को प्रशिक्षित किया. इसके लिए गांधी ने बड़हरवा लखनसेन में विद्यालय की स्थापना की.
इसमें गोपालकृष्ण गोखले, उनकी पत्नी व अन्य शिक्षक के रुप में रहे. गोखले 100 छात्रों व कस्तूरबा गांधी गोखले 40 छात्रों का शिक्षित करने में लगी थी. स्वंय सेविकाओं में अवंतिकाबाई देसाई, मणिबाई देसाई, आंनदी बाई आदि गांव-गांव जाकर बच्चों और महिलाओं को स्वच्छता के प्रति जागरुक करते थे. डॉ हरिकृष्णदेव मलेशिया के रोगियों को कुनैन की गोली देते थे. इस प्रकार से आश्रम में बच्चे, बूढ़े व बुजुर्गों को पाठयक्रम में अन्य विषयों के साथ साथ साफ-सफाई का गुर सिखाया जाता था.
विद्यालय में ही गांधी के स्वयंसेवकों की बहाली की गयी. जिन्हें स्वच्छतादूत बनाया गया. ये स्वच्छतादूत गांव के कुंओ, तालाबों व रास्ते तथा सामुदायिक स्थलों पर सफाई कर लोगो में स्वच्छता का संदेश देते थे. लेकिन गांधी जी जब वापस लौटे तो स्वयंसेवक भी उनके साथ वापस चले गये. इससे इस अभियान में शिथिलता आ गयी.
चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष के समापन वर्ष में गांधी जी की स्वच्छता का संदेश प्रासंगिक है. यदि बापू के संदेश को अमल में लाया जाये तो बदलाव दिखेगा.
Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel