राजपुर. प्रखंड के विभिन्न गांव में भूमिगत जल स्तर 14 फुट नीचे खिसक गया है. जलवायु में हो रहे परिवर्तन एवं बढ़ते तापमान से क्षेत्र के विभिन्न गांव में बड़े-बड़े तालाब पोखर अब सूख गए हैं. खुले में घूमने वाले जंगली हिरण, नीलगाय व अन्य पशु पक्षियों को काफी परेशानी हो रही है. सब्जी की खेती करने वाले किसानों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. क्षेत्र के किसान मिथिलेश पासवान, मनोज कुमार सिंह, मदन सिंह अंकित सिंह ने बताया कि भूमिगत जल स्तर नीचे हो जाने से लगभग 15 फुट नीचे चेंबर में इलेक्ट्रिक मोटर लगाकर खेतों की सिंचाई कर रहे हैं. लू का कहर तेज होने से दो दिन में ही सब्जी की सिंचाई की जा रही है. सब्जियों पर लगने वाला फूल तेज धूप एवं लू के कहर से झुलस जा रहा है. पहले तालाब एवं पोखरा में पानी भरा रहता था. लोग अपने पशुओं को धोने के लिए यहां ले आते थे. अब पानी सूख जाने से पशु भी घर में रहते हैं. वर्ष 2022 में भूमिगत जलस्तर काफी नीचे हो जाने से किसान काफी परेशान हो गए थे. पानी की कम उपलब्धता होने से क्षेत्र के किसानों ने मेंथा जैसे फसलों की खेती करना ही छोड़ दिया है. मेंथा की खेती के लिए सरकार ने भले ही प्रोत्साहन राशि देने का वादा किया था. खेती नहीं होने से यह योजना भी कागजों पर ही सिमट कर रह गयी. बारिश भी सामान्य से कम होने से पानी पर्याप्त मात्रा में नहीं होने से फसलों की सिंचाई लगातार बोरिंग से की गयी. लगातार नीचे हो रहे भूमिगत जल स्तर से परेशानी बढ़ रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल का संकट गहराने लगा है. मुख्यमंत्री नल जल योजना के तहत लोगों के घरों तक पानी पहुंच रहा है. जिन वार्डों में यह योजना बंद है. वहां के लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है.
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