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जिले में आज हो सकती है 26.2 एमएम बारिश

बक्सर जिले में पिछले दो दिनों से सक्रिय चक्रवाती तूफान मोंथा का असर लगातार बढ़ता जा रहा है.

बक्सर. बक्सर जिले में पिछले दो दिनों से सक्रिय चक्रवाती तूफान मोंथा का असर लगातार बढ़ता जा रहा है. बुधवार और गुरुवार को हुई हल्की से मध्यम वर्षा के बाद अब मौसम विभाग ने शुक्रवार को 26.2 मिलीमीटर बारिश होने की संभावना जतायी है. मौसम विभाग के अनुसार यह वर्षा पूरे जिले में व्यापक रूप से हो सकती है, जिससे एक ओर जहां मौसम में ठंड का असर दिखने लगेगा. वहीं दूसरी ओर किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें और गहरी हो गयी हैं. कृषि विज्ञान केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार बंगाल की खाड़ी में विकसित मेंथा चक्रवाती तूफान पश्चिम दिशा की ओर बढ़ते हुए जिले में भी सक्रिय है. बुधवार को जिले में औसतन 5.8 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई थी, जबकि गुरुवार को यह बढ़कर 9.4 एमएम तक पहुंच गयी. शुक्रवार को यह आंकड़ा 26 एमएम से अधिक तक जा सकता है.वहीं शनिवार को भी 9.8 एमएम बारिश की संभावना जतायी गयी है. इस अचानक हुई वर्षा से धान की कटाई और बुआई का काम बुरी तरह प्रभावित हुआ है. जिले के कई इलाकों अब धान कि कटाई कि योजना किसान बना रहे थे. लेकिन बुधवार से हलकी बारिश से कटाई का काम प्रभावित हो गया है. बारिश से अनाज की गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है. सब्जी की फसलों पर भी भारी असर : धान के अलावा जिले में इस समय भिंडी, परवल, टमाटर, गोभी, बैंगन, और मिर्च जैसी सब्जियों की फसल खेतों में तैयार है. बारिश और नमी बढ़ने से इन फसलों में पत्तों में सड़न और कीट रोग बढ़ने का खतरा है. कृषि विभाग के अधिकारियों ने किसानों को सलाह दी है कि वे फसलों में जल निकासी की व्यवस्था करें और आवश्यकता पड़ने पर फफूंदनाशक दवाओं का छिड़काव करें. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. देवकरण ने बताया कि लगातार बारिश और उमस से सब्जी फसलों में पत्तों का गलना, फल सड़ना जैसी बीमारियां बढ़ जाती हैं. किसानों को चाहिए कि बारिश के बाद खेतों में पानी न ठहरने दें. साथ ही फफूंदनाशक दवा का छिड़काव करें. रवि फसल की बुआई में पड़ेगा असर : इस समय जिले के अधिकांश किसान रवि फसल की बुआई की तैयारी में थे.चना, मटर और मसूर जैसी फसलों के लिए खेतों की जुताई शुरू हो चुकी थी. लेकिन अब बारिश से खेतों में अधिक नमी आ गई है. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि अगले दो दिनों तक बारिश जारी रही तो बुआई का समय पीछे खिसक सकता है. इससे उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.

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