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Buxar News : पिछले वित्तीय वर्ष की अपेक्षा इस वित्तीय वर्ष कम होगी मिट्टी की जांच

मिट्टी जांच के लक्ष्य में इस वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारी गिरावट विभाग के द्वारा दर्ज की गयी है. इसकी वजह से पोषक तत्वों की स्थिति कृषि विभाग के लिए चुनौती बन गयी है. अधिक-से-अधिक मिट्टी जांच होती थी तो यह पता चलता कि किस किसान के खेत में कौन-सा पोषक तत्व की कमी है.

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बक्सर. मिट्टी जांच के लक्ष्य में इस वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारी गिरावट विभाग के द्वारा दर्ज की गयी है. इसकी वजह से पोषक तत्वों की स्थिति कृषि विभाग के लिए चुनौती बन गयी है. अधिक-से-अधिक मिट्टी जांच होती थी तो यह पता चलता कि किस किसान के खेत में कौन-सा पोषक तत्व की कमी है. पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इस बार मिट्टी जांच के लक्ष्य में गिरावट दर्ज की गयी है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में जहां 10,300 सैंपलों की जांच की गयी थी, वहीं इस वित्तीय वर्ष में यह लक्ष्य घटकर 6,180 सैंपल रह गया है. विश्लेषण के अनुसार, जिले की मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा कम पायी गयी है, जबकि पोटाश और फास्फोरस मध्यम स्तर पर मौजूद हैं. यह स्थिति किसानों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि मिट्टी की उर्वरता सीधे फसल उत्पादन को प्रभावित करती है. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि किसानों को उचित उर्वरक प्रबंधन और जैविक खादों के उपयोग की दिशा में जागरूक करना जरूरी है, ताकि मिट्टी की गुणवत्ता को बनाये रखा जा सके और उत्पादन में कमी न आये, जबकि वित्तीय वर्ष 2023-24 में 4401 किसानों के खेत की मिट्टी की जांच की गयी थी. वहीं, वित्तीय वर्ष 2024-25 में 10 हजार 300 से मिट्टी जांच की गयी थी. इस लक्ष्य को बढ़ाने के अनुपात में विभाग के द्वारा घटा दिया गया है.

जिले में 12 पैरामीटर पर की जाती है मिट्टी जांच

जिले में 12 पैरामीटर पर मिट्टी जांच की जाती है, ताकि पता चल सके कि किस किसान के खेत में कौन सा उर्वरक की कमी है. इसको लेकर कृषि विभाग के द्वारा प्रत्येक वर्ष जिले के विभिन्न प्रखंडों की विभिन्न पंचायत में जांच की जाती है, ताकि किसान कम लागत में अच्छी पैदावार कर सके. कम लागत में अच्छा मुनाफा कर सके. मिट्टी जांच 12 पैरामीटर पर की जाती है. पीएच व इसी, जैविक कार्बन, नाइट्रोजन, फास्फेट, पोटैशियम, सल्फर, जिंक, बोरोन, आयरन, मैगनीज, काॅपर की जांच लैब में की जाती है. जांच के उपरांत किसान को स्वायल हैल्थ कार्ड दिया जाता है, जिससे जान सके कि उसकी मिट्टी में किस चीज की कमी है. मिट्टी जांच कराने से किसानों को बहुत तरह के फायदे होते हैं. कृषि के लिए मिट्टी की आवश्यकता होती है. मिट्टी के बिना खेती करना लगभग असंभव है. हमारी इस मिट्टी की स्थिति लगातार गिर रही है और विभिन्न प्रकार के संकट बढ़ रहे हैं. अधिक क्षेत्रों में किसान भाई भी अपनी मिट्टी की स्थिति से अवगत नहीं हैं. इन सभी को देखते हुए और मिट्टी की स्थिति को ठीक करने के लिए मिट्टी का परीक्षण करना बहुत ही महत्वपूर्ण है. सूक्ष्म परीक्षण या भूमि की गहराई में चयनित पोषक तत्वों की मात्रा, पीएच मानव और मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म की संख्या निर्धारित करने के लिए मिट्टी के नमूने का एक रासायनिक परीक्षण है.

सूक्ष्म परीक्षण करवाकर हम अपनी मिट्टी की वर्तमान स्थिति को जानकर उसकी स्थिति सुधारने के लिए कदम उठा सकते हैं और सही अनुपात में आवश्यक पोषक तत्वों का भी चयन कर सकते हैं. साथ ही अपनी मिट्टी के अनुसार हम सही परिणाम चक्र का चयन कर अधिक लाभ भी प्राप्त कर सके.

सूक्ष्म परीक्षण के लाभ :

मिट्टी का परिदृश्य, फॉस्फोरस, पोटाश, द्वितीयक पोषक तत्वों और सूक्ष्म पोषक तत्वों की उचित आपूर्ति के लिए सरलीकरण करने में सहायता करता है. मिट्टी की जांच से पीएच (pH) स्तर भी पता चलता है. मिट्टी की पूर्ति परिणाम निर्माण के प्रबंधन में सहायक है. क्लीनर्स की सही मात्रा को मिट्टी में मिलाने से मिट्टी की विषाक्तता को नियंत्रित किया जा सकता है और मिट्टी की अशुद्धि की क्षमता को भी बढ़ाया जा सकता है. मिट्टी में विद्यमान तत्वों के अनुसार घटक का चयन होने से अधिक प्राप्त होता है. मिट्टी की जांच रिपोर्ट के माध्यम से वैज्ञानिक रूप से सूक्ष्म तत्वों का प्रबंधन किया जा सकता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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