बक्सर. जिला के इटाढी प्रखंड के इटाढी पंचायत के प्रखंड कृषि भवन में जैविक कॉरिडोर योजना से जुड़े जैविक किसानों को द्वितीय वित्तीय वर्ष 2023–24 का द्वितीय एकदिवसीय जैविक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया.जिसमें किसानों को जैविक धान की खेती एवं नर्सरी लगाने, ढैचा की खेती,हरि खाद,बर्मी कंपोस्ट, जीवामृत, बीजामृत, निमास्त्र का निर्माण एवं प्रयोग,जैव उत्पाद की मार्केटिंग एफपीओ की भूमिका इत्यादि विषयों पर जानकारी दी गयी. इस कार्यक्रम में जिला से ऋषभ राज डीपीएमयू के नेतृत्व में यह एकदिवसीय जैविक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया.उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए बताया कि गाय के बिना जैविक कृषि की परिकल्पना नहीं की जा सकती है.एक गाय से किसान लगभग 3 एकड़ तक जैविक कृषि कर सकतेहै . बर्मी कंपोस्ट के लगातार प्रयोग से मिट्टी में ह्यूमस और जैविक जीवाश्म की मात्रा में बढ़ोतरी होती है जिससे मिट्टी की उर्वराशक्ति में वृद्धि होती है.जैविक कृषि से मिट्टी,वायु एवं पर्यावरण में सुधार होता है. अंधाधुंध रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल से मिट्टी,जल,वायु प्रदूषित हो रही है,मानव स्वास्थ्य पर इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है.मानव स्वास्थ्य की रक्षा, मिट्टी की गुणवता को बचाने के लिए जैविक कृषि की परम आवश्यकता है. उन्होंने ने कहा कि रासायनिक खेती करने वाले. किसान भी अपने खेतों में हो सके तो बर्मी कंपोस्ट अन्यथा कम से कम गाय का गोबर भी खेतों में डालने की आदत डाल ले जिससे रसायनों के अधिक प्रयोग से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है. जैविक कृषि से मिट्टी की जल धारण क्षमता में भी उतरोतर विकास होता है. चंद्रदेव उपाध्याय, अनिश्रद्धा प्रियदर्शी, मनोज कुमार शामिल रहे.
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