बक्सर
. संसार की माया से छुटकारा पाने का उपाय है.मायापति की शरणागति में जाना. जैसे ही जीव मायापति के शरण मे जाता है वैसे ही माया मानव जीवन मे बाधक नहीं, वरन साधक ,सहयोगी बन जाती है. उक्त बातें विश्व प्रसिद्ध मनिषी संत श्री त्रिदण्डी स्वामी जी महाराज के शिष्य श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयरा स्वामी जी महाराज के कृपापात्र ब्रहृमपुरपीठाधीश्वर आचार्य धर्मेन्द्र जी महाराज ने सती घाट स्थित लालबाबा आश्रम मे श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन शनिवार को कही.महाराज ने वेद व्यासजी के मन मे उत्पन्न विसाद को मिटाने व शांति हेतु देवर्षि नारद जी द्वारा बताए गये मार्ग पर प्रकाश डालते हुए द्रौपदी, उत्तरा,सुभद्रा और कुंती के दिव्य चरित्र की कथा कही.उन्होने कहा कि भगवान को साधन से नही, साधना से नहीं, वरन भाव से ,भक्ति से ,गुरू कृपा से प्राप्त किया जा सकता है.भगवान को भाव,प्रेम प्रिय है.सती चरित्र का वर्णन करते हुये शिव पार्वती विवाह की झांकी प्रस्तुत करते हुए विवाह में प्रविष्ट कुरीतियों के निवारणार्थ दहेज मुक्त ,प्रदर्शन रहित विवाह संस्कार करने को लेकर अपील की.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

