बिहारशरीफ. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर जिला प्रशासन ने प्रचार सामग्री के मुद्रण और विज्ञापन को लेकर सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं. जिलाधिकारी कुंदन कुमार ने स्पष्ट किया है कि चुनावी पोस्टर, पम्पलेट आदि छपवाते समय सभी नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा, नहीं तो कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है. प्रशासन के निर्देश के अनुसार, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 127ए के तहत किसी भी चुनावी सामग्री (जैसे पोस्टर, पम्पलेट, हेंडबिल) के मुख्य पृष्ठ पर उसे छापने वाले (मुद्रक) और प्रकाशित करने वाले (प्रकाशक) का पूरा नाम और पता स्पष्ट रूप से अंकित होना चाहिए. नियम तोड़ने पर सजा: अगर कोई इस नियम का उल्लंघन करता पाया जाता है, तो उसे छह महीने तक की जेल या 2000 रुपये तक का जुर्माना, या फिर दोनों हो सकते हैं. चुनाव आयोग ने एक खास तरह के विज्ञापनों पर भी रोक लगाई है, जिन्हें सरोगेट विज्ञापन कहा जाता है. ये वो विज्ञापन होते हैं जो किसी उम्मीदवार के पक्ष या विरोध में तो होते हैं, लेकिन सीधे तौर पर उसके नाम से नहीं छपते. अगर कोई व्यक्ति या संगठन किसी उम्मीदवार के लिए 10 रुपये से अधिक खर्च करके ऐसा विज्ञापन छापता है, तो उसके लिए उम्मीदवार की लिखित अनुमति होना जरूरी है.बिना अनुमति के ऐसा करने पर भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की धारा 171(जी) के तहत 500 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. चुनावी नियमों की पालना सुनिश्चित करने के लिए जिला प्रशासन ने एक एमसीएमसी (मीडिया प्रमाणन एवं निगरानी समिति) टीम गठित की है. यह टीम जिले के सभी अखबारों, प्रेसों, मुद्रणालयों और राजनीतिक दलों पर नजर रखेगी. किसी भी तरह का नियम उल्लंघन होने पर तत्काल कानूनी कार्रवाई की जाएगी. इन सख्त कदमों का मुख्य उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाए रखना है. इससे अवैध खर्च पर रोक लगेगी और यह स्पष्ट रहेगा कि कौन सा प्रचार सामग्री किसने छापी है. प्रशासन की चेतावनी साफ है कि चुनावी प्रचार में नियमों की अनदेखी बहुत महंगी पड़ सकती है. सभी पक्षों से अपेक्षा की गई है कि वे इन दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे.
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