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नालंदा में तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी भारत बोध : एक परिचर्चा शुरू

भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के तत्वावधान में और इतिहास संकलन समिति, बिहार (पटना) के सहयोग से नालंदा में तीन दिवसीय प्रथम अधिवेशन सह राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया है.

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बिहारशरीफ. भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के तत्वावधान में और इतिहास संकलन समिति, बिहार (पटना) के सहयोग से नालंदा में तीन दिवसीय प्रथम अधिवेशन सह राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया है. इस संगोष्ठी की मेज़बानी नालंदा खुला विश्वविद्यालय, नालंदा एवं नालंदा कॉलेज, बिहार शरीफ (नालंदा) द्वारा की जा रही है. संगोष्ठी का केंद्रीय विषय है भारत बोध: एक परिचर्चा जो विशेष रूप से चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम के ऐतिहासिक व शैक्षणिक महत्व को केंद्र में रखकर तैयार किया गया है. कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो गिरीश कुमार चौधरी, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना नई दिल्ली के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ बालमुकुंद पांडेय, गोपाल नारायण विश्वविद्यालय जमुहार के कुलपति गोपाल नारायण सिंह, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय पटना सह अध्यक्ष राष्ट्रीय संगोष्ठी प्रो राजीव रंजन,नालंदा खुला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रविंद्र कुमार, नालंदा खुला विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ समीर कुमार शर्मा, युवा इतिहासकार प्रमुख डॉ मुकेश कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. मंच संचालन का दायित्व प्रो. अनीता (महिला इतिहासकार प्रमुख, इतिहास संकलन समिति, दक्षिण बिहार) ने निभाया. कार्यक्रम में युवा इतिहासकार समूह के संजय कुमार द्वारा स्वागत भाषण प्रस्तुत किया गया. तकनीकी सत्रों और सांस्कृतिक कार्यक्रम की भी रही धूम : दोपहर उपरांत दो विशेष तकनीकी सत्रों का आयोजन हुआ, जिनमें इतिहास विषयक नवीन दृष्टिकोण और पाठ्यक्रम की भूमिका पर विस्तार से विचार रखें. शाम 6 बजे से सांस्कृतिक संध्या का आयोजन हुआ जिसमें प्रतिभागियों और छात्रों ने विविध प्रस्तुतियों के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक विरासत को उजागर किया. कार्यक्रम के स्थानीय सचिव डॉ रत्नेश अमन ने कहा कि यह संगोष्ठी 12 मई तक चलेगी, जिसमें देशभर से आए इतिहासकार, शोधार्थी, शिक्षाविद एवं छात्रगण भाग लेंगे. यह आयोजन न केवल अकादमिक विमर्श को सशक्त बनाएगा, बल्कि इतिहास के भारतीय दृष्टिकोण को मजबूती से प्रस्तुत करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा.

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