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Bihar News: पटना. स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से शुरू की गयी जीविका योजना आज अपने मूल लक्ष्य को न केवल साकार कर रही है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्तर पर मजबूत पहचान भी बना रही है. इसी कड़ी में पटना जिले के बिक्रमगंज अनुमंडलीय अस्पताल परिसर में संचालित ‘दीदी की रसोई’ की बढ़ती लोकप्रियता अब एक नयी उपलब्धि की ओर बढ़ रही है. महज डेढ़ वर्ष पहले शुरू हुई यह पहल अब इतनी सफल हो चुकी है कि जल्द ही इसकी एक नयी शाखा अनुमंडल कार्यालय में भी खुलने जा रही है. जीविका के प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी विजय चौधरी बताते हैं कि अनुमंडलीय अस्पताल में दीदी की रसोई के सफल संचालन का ही परिणाम है कि अनुमंडलाधिकारी प्रभात कुमार की ओर से लगातार कार्यालय परिसर में भी रसोई खोलने का आग्रह मिल रहा है.
दीदी की रसोई का गुणगान करते लोग
दीदी की रसोई की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अस्पताल में आनेवाले चिकित्सक, स्वास्थ्यकर्मी, मरीजों के परिजन और आमलोग यहां के नाश्ते व भोजन को प्राथमिकता देने लगे हैं. इसी सप्ताह सोमवार को दांत की सफाई के लिए अस्पताल पहुंचे नगर के पूर्व वार्ड पार्षद ललन चौरसिया, दंत चिकित्सक डॉ जियाउल हक के साथ ब्रेड पकौड़ा और चाय का आनंद लेते नजर आये. स्वाद के बारे में पूछे जाने पर पूर्व पार्षद ने इसे “लाजवाब” बताया. वहीं, डॉ जियाउल हक ने कहा कि दीदी की रसोई खुलने के बाद से वे नियमित रूप से यहीं चाय-नाश्ता और कभी-कभी भोजन भी करते हैं. खाना ऐसा लगता है जैसे घर का बना हो.
दीदी की रसोई का रेट लिस्ट
- ब्रेड पकौड़ा 10 रूपये पीस
- रोटी सादा 05 रूपये पीस
- सतू पराठा 15 रूपये पीस
- आलू पराठा 15 रूपये पीस
- सादा पराठा 07 रुपये पीस
- उबला अंडा 10 रूपये पीस
- ऑमलेट 15 रूपये पीस
- अंडा कढ़ी 45 रुपये चार पिस
- भोजना सादा 60 रुपये प्रति प्लेट
- चावल 20 रुपये हाफ प्लेट
- कचौड़ी सब्जी 40 रुपये, छह कचौड़ी
- दाल फ्राई 30 रूपये
60 रुपये में चार रोटी, चावल, दो सब्जी और दाल
भोजन कर रहे एक युवा ने बताया कि मात्र 60 रुपये में चार रोटी, चावल, दो सब्जी, दाल और पापड़ मिलता है. इसका स्वाद पूरी तरह घरेलू होता है. न मिलावट, न घटिया तेल, यही इसकी सबसे बड़ी खासियत है. थोड़ी देर बाद अस्पताल के स्वास्थ्य प्रबंधक अनिल कुमार और पीएचसी प्रबंधक अशोक कुमार भी पहुंचे और कॉफी का आनंद लेते हुए दीदी की रसोई की सराहना की. प्रबंधक ने बताया कि अस्पताल में आने वाले मरीजों जिन्हें चिकित्साय कारणों से रात को रुकना पड़ा या इलाजरत है उन्हें चार टाइम सुबह का नाश्ता, दोपहर का भोजन, शाम को चाय और रात को भोजन दीदी की रसोई का ही दिया जाता है.
दीदियों को मिलता है 6000 रुपये महिना
प्रखंड जीविका कार्यक्रम पदाधिकारी विजय चौधरी ने बताया कि अनुमंडलीय अस्पताल में चल रही दीदी की रसोई में मंगलम सीएलएफ घुसियां खुर्द से जीविका दीदियां कार्यरत हैं. इसमें रिंकू देवी, सुनीता देवी, उर्मिला देवी और केसरी देवी कार्यरत हैं, जिन्हें प्रति माह 6000 रुपये का भुगतान किया जाता है. उन्हें केवल भोजन बनाने और परोसने की जिम्मेदारी दी गयी है.
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