Bihar News: बिहार सरकार ने प्रदेश की बंद पड़ी चीनी मिलों को दोबारा चालू करने की दिशा में निर्णायक कदम बढ़ाया है. दरभंगा की रैयाम और मधुबनी की सकरी चीनी मिल को अब राज्य सरकार के नियंत्रण में चलाया जाएगा. इन दोनों मिलों का संचालन सहकारिता विभाग के तहत सहकारी समितियों के जरिए होगा.
इसके लिए विस्तृत मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है, जिसे कैबिनेट की मंजूरी के बाद लागू किया जाएगा. सहकारिता मंत्री डॉ. प्रमोद कुमार ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि गन्ना उद्योग विभाग के साथ इस संबंध में बैठक हो चुकी है.
कैबिनेट के फैसले के बाद तेज हुई प्रक्रिया
25 नवंबर को एनडीए की नई सरकार के गठन के बाद हुई पहली कैबिनेट बैठक में बंद पड़ी चीनी मिलों को फिर से खोलने का निर्णय लिया गया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस फैसले की जानकारी सोशल मीडिया के जरिए दी थी. उन्होंने बताया था कि बंद चीनी मिलों को चालू करने, निवेश बढ़ाने और गन्ना किसानों को स्थिर बाजार उपलब्ध कराने के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जा रही है.
इसके लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है, जो औद्योगिक परियोजनाओं की निगरानी और निवेश आकर्षित करने की रणनीति पर काम कर रही है.
सहकारिता मॉडल पर चलेगी मिल
सरकार का यह कदम इसलिए भी अहम है क्योंकि दोनों मिलों का संचालन निजी हाथों की बजाय सहकारी समितियों के माध्यम से किया जाएगा. सहकारिता मंत्री के अनुसार इससे स्थानीय स्तर पर पारदर्शिता बढ़ेगी और किसानों की सीधी भागीदारी सुनिश्चित होगी. मास्टर प्लान के तहत तकनीकी जरूरतों, पूंजी निवेश और संचालन ढांचे को अंतिम रूप दिया जा रहा है. कैबिनेट से मंजूरी मिलते ही विस्तृत रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी.
दरभंगा और मधुबनी की मिलें तो शुरुआत भर हैं. मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने पहले ही संकेत दिया है कि राज्य में नौ बंद चीनी मिलों को दोबारा शुरू करने की तैयारी है. इसके साथ ही अगले पांच वर्षों में 25 नई चीनी मिलें स्थापित करने का लक्ष्य भी रखा गया है. बनमनखी, वारिसलीगंज, गोरौल, समस्तीपुर, गया, हथुआ और सीवान जैसी जगहों की मिलें भी इस योजना का हिस्सा हैं.
किसानों और रोजगार के लिए क्या बदलेगा
चीनी मिलों के दोबारा शुरू होने से गन्ना किसानों को नियमित और स्थिर बाजार मिलने की उम्मीद है. लंबे समय से गन्ना उपज के उचित दाम न मिलने की समस्या झेल रहे किसानों को इससे राहत मिल सकती है. इसके साथ ही प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है. कृषि आधारित स्थानीय अर्थव्यवस्था में निवेश बढ़ेगा और गन्ना उत्पादन क्षेत्रों में फिर से गतिविधियां तेज होंगी.
दरभंगा की रैयाम चीनी मिल और मधुबनी की सकरी चीनी मिल वर्षों से बंद पड़ी हैं. सकरी चीनी मिल 1997 से बंद है, जबकि रैयाम मिल का संचालन भी लंबे समय से ठप पड़ा है. सरकार के इस फैसले से इन इलाकों में एक बार फिर औद्योगिक रौनक लौटने की उम्मीद जगी है.
बिहार सरकार का यह फैसला केवल चीनी मिलें खोलने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह गन्ना किसानों, रोजगार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है. अब निगाहें कैबिनेट की मंजूरी और काम शुरू होने की तारीख पर टिकी हैं.
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