बिहार: स्वास्थ्य विभाग राज्य में ड्यूटी से भगोड़े डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी कर चुकी है. ड्यूटी से लगातार अनुपस्थित रहनेवाले ऐसे 150 से अधिक डॉक्टरों से अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया है. ऐसे चिकित्सकों का स्पष्टीकरण नहीं मिलने के बाद उनको सेवा से बर्खास्त करने की कार्रवाई सरकार करेगी. स्वास्थ्य विभाग के अवर सचिव उपेंद्र राम ने ऐसे चिकित्सकों को 15 दिनों के अंदर अपना पक्ष रखने का मौका दिया है. उसके बाद उनके खिलाफ एक पक्षीय कार्रवाई की साफ चेतावनी दी गयी है.
कई नौ साल से गायब, तो कई योगदान के बाद लौटा ही नहीं
बिहार सेवा संहिता 1950 के नियम 74 में प्रावधान है कि कोई भी सरकारी सेवक अपने कर्तव्य से लगातार पांच सालों तक अनुपस्थित रहता है, तो उसकी सेवा समाप्त हो जाती है. स्वास्थ्य विभाग में काम करनेवाले चिकित्सकों ने नियम कानून की धज्जियां उड़ाते हुए कोई नौ साल से बिना सूचना दिये ड्यूटी से गायब है, तो किसी ने योगदान करने के बाद बिना किसी सूचना के अभी तक अस्पताल में ड्यूटी के लिए पहुंचा ही नहीं है. ऐसे डॉक्टरों में महिला रोग विशेषज्ञ, रेडियोलॉजिस्ट, चिकित्सा पदाधिकारी जैसे डॉक्टर शामिल हैं.
इन डॉक्टरों के खिलाफ एक्शन
सरकार द्वारा जिन डॉक्टरों को विज्ञापन के माध्यम से सूचना दी गयी है, उनमें गया के जयप्रकाश नारायण अस्पताल की चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ ममता आनंद हैं, जो एक जून 2016 से अनुपस्थित हैं. डुमरांव बक्सर में पदस्थापित स्त्री रोग विशेषज्ञ डाॅ माला सिन्हा योगदान करने के बाद अनुपस्थित हैं. सदर अस्पताल, कैमूर में पदस्थापित डा राजेश कुमार सिंह छह दिसंबर 2016 से अनुपस्थित हैं. वहीं की डाॅ रंजू सिंह भी 24 अगस्त 2016 से लगातार अनुपस्थित हैं. सीएचसी, कुर्था में पदस्थापित स्त्री रोग विशेष डाॅ पूजा कुमारी और गया जिला के डुमरिया पीएचसी में पदस्थापित डाॅ राखी कुमारी योगदान के बाद से अनुपस्थित हैं.
बिहार की ताजा खबरों के लिए यहां क्लिक करें
15 दिनों के अंदर रखना होगा पक्ष
इस तरह के चिकित्सकों के खिलाफ अब विभाग ने कार्रवाई करने की दिशा में पहल किया है. इनका जवाब नहीं मिलने या उससे असंतुष्ट होने के बाद बिहार लोक सेवा से सहमति मिलने के बाद ऐसे चिकित्सकों की बर्खास्तगी की कार्रवाई की जायेगी.
इसे भी पढ़ें: बिहार में गन्ना किसानों के लिए खुशखबरी, मशीनों की खरीद पर नीतीश सरकार देगी 70 प्रतिशत सब्सिडी

