आरा : सजायाफ्ता बंदी प्रमोद सिंह के मौत के बाद उनका शव सदर अस्पताल में लगभग पांच घंटे तक पड़ा रहा. अस्पताल पहुंचे परिजन मौत के कारणों का पता लगाने के लिए बार- बार जेल प्रशासन तथा अस्पताल के डॉक्टरों से पूछ रहे थे. सभी लोगों ने अलग- अलग दलील दी.
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि प्रमोद सिंह को लगभग सात बजे सुबह में जेल प्रशासन लेकर आयी उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. वहीं परिजनों का कहना है कि रविवार की रात में ही उनकी तबीयत बिगड़ी थी और कोरम पूरा करने के लिए जेल प्रशासन सदर अस्पताल लायी है. जेल प्रशासन द्वारा इलाज में कोताही की गयी. जिससे बाद उनकी मौत हुई है. पूरे मामले की जांच की मांग की गयी है.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही मौत के कारणों का खुलासा हो पायेगा. पोस्टमार्टम के दौरान वीडियो रिकॉडिंग की गयी है तथा मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में बोर्ड का गठन करते हुए पोस्टमार्टम कराया गया है. जिसमें अस्पताल के अधीक्षक डॉ सतीश कुमार सिन्हा के नेतृत्व में डॉक्टर अरुण कुमार, डॉ आरएन यादव, डॉ एमएच अंसारी को शामिल किया गया है.
कोर्ट बम ब्लास्ट तथा गांव के ही एक व्यक्ति की हत्या के मामले में सजायफ्ता थे प्रमोद सिंह : वर्ष 2016 में एकवारी गांव के ही ददन सिंह की हत्या हुई थी. जिस मामले में प्रमोद सिंह आरोपित थे. इस मामले में भी उन्हें सजा हुई थी.
बताया जा रहा है कि एक बरात में फायरिंग के दौरान उनकी हत्या हुई थी. वहीं 23 जनवरी 2015 को सिविल कोर्ट में बम ब्लास्ट हुआ था. जिसमें सिपाही अमित कुमार और बम लाने वाली महिला नगीना देवी की मौत हुई थी. इस घटना में लगभग दर्जनों लोग जख्मी हुए थे. इस मामले में प्रमोद सिंह को आरोपित किया गया था.
बम ब्लास्ट मामले में घटना के मुख्य आरोपित लंबू शर्मा को 20 अगस्त 2019 को फांसी की सजा तथा प्रमोद सिंह को उम्रकैद की सजा हुई थी. तृतीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने सजा सुनायी थी. गांव में हुई हत्या के बाद इनकी गिरफ्तारी वर्ष 2017 के नवंबर में हुई थी.
प्रमोद सिंह के मौत के मामले मे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से जांच कराने उठी मांग : प्रमोद सिंह का जेल में हर्ट अटैक के बाद इलाज में देरी व कोताही को गंभीरता से लेते हुए भाजपा के प्रांतीय नेता व पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता घनश्याम राय तथा सहार -पूर्वी की पूर्व जिला पार्षद मीना कुमारी ने मामले को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से जांच की गुहार लगायी है.
तीन वर्षो से जेल में थे बंद मृतक प्रमोद सिंह, दो दर्जन से अधिक मामले थे दर्ज
गांव में हुई हत्या के बाद पुलिस ने इन्हें वर्ष 2017 में 3 नवंबर 2017 को जेल भेजा था. उसके बाद से यह जेल में ही थे. इसी दौरान उनका नाम बम ब्लास्ट कांड में भी आया था. जिसमें उनकी सजा हुई.
पुलिस सूत्रों के अनुसार इनके विरुद्ध कुल दो दर्जन से अधिक मामले दर्ज था. हालांकि अन्य मामलों में ये बेल पर थे तथा कई मामलों में इन्हें बरी भी कर दिया गया था. कुछ मामले ट्रायल में चल रहे थे. एससी/एसटी के मामले में भी इनका ट्रायल चल रहा था.
पांच भाईयों में चार नंबर पर थे प्रमोद सिंह
प्रमोद सिंह के पिता स्व संत सिंह की हत्या की गयी थी. वर्ष 1996-97 में इनकी पिता की हत्या हुई थी. ये पांच भाईयों में चार नंबर थे. इनके भाई अशोक सिंह की भी हत्या हुई थी. एक भाई अनिल सिंह की बीमारी से मौत हुई थी.
पांच भाईयों में बड़े भाई भोला सिंह तथा छोटा भाई मनोज सिंह है. अभी तक इनके पूरे परिवार में लगभग कई लोगों की जाने जा चुकी है. रणवीर सेना और माले की वर्चस्व की लड़ाई में इनके परिवार की हत्या हुई. जिसके बाद प्रमोद सिंह ने कमान संभाला और इनके ऊपर कई मामले दर्ज होते चले गये.
वर्चस्व में गयी थी प्रमोद के बाबा, पिता व चचेरे भाई की जान
वर्चस्व को लेकर प्रमोद सिंह के बाबा नथुनी सिंह, पिता संत सिंह तथा चचेरे भाई उमा सिंह की भी हत्या हुई थी. जिसके बाद से पूरा परिवार टूट गया था. वर्चस्व की इस लड़ाई में कई जाने जा चुकी है. इनका परिवार काफी खुशहाल था. ये लोग ट्रांसपोर्ट कारोबार से भी जुड़े हुए थे. वर्चस्व की इस लड़ाई में इनके परिवार के कई सदस्यों की हत्या हुई.
जांच की उठी मांग
बड़े भाई भोला सिंह ने बताया कि उनके भाई प्रमोद सिंह रविवार की शाम तक स्वस्थ थे. उन्हें कोई बीमारी नहीं थी. उन्होंने अपने भाई की मौत के कारणों का जांच की मांग की. वहीं छोटे भाई मनोज सिंह ने भी भाई के मौत के कारणों का पता लगाने के लिए उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है.
