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प्रभात खबर की ओर से आयोजित गोष्ठी में महिलाओं ने रखी अपनी बात, महिलाओं की सुरक्षा हो सरकार की प्राथमिकता

आरा : हर साल आठ मार्च को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. यह दिन महिलाओं के लिए लैंगिक समानता की आवाज उठाने के मकसद से मनाया जाता है. इस दिन उन महिलाओं को और उनके योगदान को जरूर याद किया जाता है, जिन्होंने अपने क्षेत्र में बेहतरीन योगदान दिये हैं. इस दिन […]

आरा : हर साल आठ मार्च को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. यह दिन महिलाओं के लिए लैंगिक समानता की आवाज उठाने के मकसद से मनाया जाता है. इस दिन उन महिलाओं को और उनके योगदान को जरूर याद किया जाता है, जिन्होंने अपने क्षेत्र में बेहतरीन योगदान दिये हैं. इस दिन के जरिए महिला सशक्तीकरण का संदेश पूरी दुनिया में पहुंचाया जाता है.
दुनियाभर में लोग इसे अलग-अलग अंदाज में मनाते हैं. आठ मार्च को विश्व की प्रत्येक महिला को सम्मान देने के लिए उत्सव के रूप में महिला दिवस मनाया जाता है. यहां समझनेवाली बात यह है कि महिलाओं के सम्मान व उनके आत्मविश्वास को बढ़ावा देने के लिए सिर्फ एक दिन ही काफी नहीं है. बल्कि इसके लिए पहल करने की आवश्यकता है.
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर प्रभात खबर द्वारा आयोजित एक गोष्ठी कार्यक्रम में महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और प्रभात खबर से अपनी समस्याओं को साझा किया. प्रभात खबर की टीम से खुलकर बातें करते हुए महिलाओं ने कहा कि भारत अभी भी महिलाओं के सम्मान में काफी पीछे है. हालांकि प्रयास किया जा रहा है.
महिलाओं के लिए सबसे बड़ी बात यह है कि उसकी सुरक्षा को पहले प्राथमिकता में रखनी चाहिए. सुरक्षा को लेकर महिला आज भी अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रही हैं. कई महिलाओं ने देश के राजनीति, स्वास्थ्य, शिक्षा संबंधी बातें बतायीं. उन्होंने कहा कि महिलाओं को अगर हर क्षेत्र में भागीदारी मिले और सरकार मदद करे तो वह काफी उंच्चाई तक जा सकती हैं.
कहां और क्यों मना था पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
सबसे पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस दुनिया के सबसे पावरफुल देश अमेरिका में मनाया गया था. दरअसल अमेरिका में महिलाओं को चुनाव में वोट डालने का अधिकार नहीं था. 28 फरवरी 1909 को इस दिन अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी के आह्वान पर पहली बार दुनिया में इस दिन को मनाया गया. इसके बाद 1911 में पहली बार ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में इसे मनाया गया. 1913 में इसे बदलकर आठ मार्च कर दिया गया.
बेटे को पढ़ाकर बनाया अधिकारी
महिलाओं को उचित सुरक्षा और उचित व्यवस्था मिले तो महिलाएं किसी से कम नहीं हैं. आज के इस युग में महिलाएं हर क्षेत्र में आये हैं. महिलाओं को उचित सम्मान मिलना चाहिए. मैंने अपने बेटे राकेश कुमार सिंह को पढ़ा लिखा कर कनाडा में विकास पदाधिकारी बनाया है. मुझे महिला होने का गर्व है.
वीणा सिंह, उमंग संस्था की सचिव
शहर में बेहतर अस्पताल हो
आरा जैसे शहर में स्वास्थ्य सेवा का बेहतर प्रबंध नहीं है. यहां के लोगों को बीमार पड़ने पर सरकारी अस्पताल के रूप में सिर्फ एक सदर अस्पताल उपलब्ध है. यहां मेडिकल कॉलेज होता तो यहां के मरीजों को पटना के समतुल्य मेडिकल सुविधा उपलब्ध होता, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है.
माधुरी उपाध्याय, बाबू बाजार
उच्च शिक्षण संस्थान की जरूरत
आरा शहर में उच्चस्तरीय शिक्षा जैसे मेडिकल, इंजीनियरिंग तथा तकनीकी शिक्षा के लिए दूसरे प्रदेशों पर निर्भर रहना पड़ता है, जिसके कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. यदि आरा शहर में इस तरह की शिक्षा व्यवस्था होती तो हम और भी आगे बढ़ सकते हैं.
गिरजा देवी, शांति नगर
सामान के लिए बाजार मिले
सरकार प्रायोजित योजनाओं के लाभ पाकर कई महिलाएं आत्म निर्भरता या स्वावलंबन को लेकर अपने स्तर से उत्पाद तैयार करती हैं लेकिन बाजार उपलब्ध नहीं होने के कारण स्थानीय स्तर पर महिला समूहों द्वारा तैयार सामान या उत्पाद की बिक्री नहीं हो पाती है. इसकी व्यवस्था करने की जरूरत है.
सरस्वती देवी, गोला मुहल्ला

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