आरा : सासाराम-आरा रेलखंड पर आनेवाले दिनों में डबल डिसटेंस सिग्नल लगाया जायेगा. इस सिस्टम के लग जाने से ड्राइवरों को करीब दो किलोमीटर दूर से ही सिग्नल की जानकारी मिल जायेगी. इस रेलवे ट्रैक का दोहरीकरण होने के बाद से इस सिस्टम को लगाया जायेगा. दानापुर रेल मंडल के पटना-मुगलसराय रेलखंड पर 2001 में ही इस सिस्टम की शुरुआत कर दी गयी थी. डबल डिसटेंट सिग्नल सिस्टम की शुरुआत होने के बाद इस रूट पर भी ट्रेनों को 130 की रफ्तार से दौड़ाना संभव हो सकेगा.
इस सिस्टम से रेल खंड में लोको पायलट को दो किमी पहले ही संकेत मिल सकेंगे कि उसे आगे कौन-सा सिग्नल मिलनेवाला है. इससे रेल की रफ्तार नहीं टूटेगी और उसे अपनी गति पर निर्धारित किया जा सकेगा. मुगलसराय मंडल के तहत आनेवाले इस रेलखंड की लंबाई करीब 96 किलोमीटर है.
आधुनिकीकरण पर चल रहा काम : आरा-सासाराम रेलखंड पर ट्रेनों की गति देने को लेकर तेजी से कार्य किया जा रहा है. इस रूट पर रेलवे द्वारा विद्युतीकरण कार्य करने का प्रस्ताव है.
इस रूट के अस्तित्व में आने के बाद आरा व मुगलसराय के बीच मालगाड़ी का दबाव कम हुआ है. मुगलसराय-सासाराम- आरा होकर मालगाड़ियों को चलाया जा रहा है. इससे बाकी ट्रेनों को चलाने में सुविधा हो रही है.
दो किलोमीटर दूर से ड्राइवरों को सिग्नल की मिल जायेगी जानकारी
रेलवे ट्रैक का दोहरीकरण होने के बाद लगाया जायेगा सिस्टम
यह है सिस्टम की खासियत
मौजूदा सिग्नल के अलावा नये सिस्टम में आउटर सिग्नल के संकेत इनर सिग्नल से एक किमी पहले स्थित होते हैं. दोनों आउटर सिग्नल और आउटर सिग्नल अनुमोदक संकेत होते हैं और गाड़ियों को हमेशा इसके सबसे अधिक प्रतिबंधात्मक संकेतों के माध्यम से ही संचालित किया जाता है. डबल डिसटेंट सिग्नल सिस्टम के फलस्वरूप ट्रेन ड्राइवर स्टेशन के बहुत पहले सिग्नल को देख पायेंगे. इससे उन्हें ट्रेन की गति को बनाये रखने में मदद मिलेगी और ट्रेन संचालन की सुरक्षा पहलू में बढ़ोतरी हो सकेगी. इस व्यवस्था के तहत चेतावनी (वार्निंग) सिग्नल बोर्ड की आवश्यकता नहीं होगी