आरा : अब रेलवे ट्रैक पर काम करने वाले गैंगमैनों पर नजर रखने के लिए उन्हें जीपीएस डिवाइस से लैस किया जा रहा है. जीपीएस डिवाइस गैंगमैन के पॉकेट में होगा. यह डिवाइस मंडल स्तर के मुख्य सर्वर से जुड़ा रहेगा. वहीं से रेलकर्मियों की गतिविधि की जानकारी मिल जायेगी. आमतौर पर देखा जाता है […]
आरा : अब रेलवे ट्रैक पर काम करने वाले गैंगमैनों पर नजर रखने के लिए उन्हें जीपीएस डिवाइस से लैस किया जा रहा है. जीपीएस डिवाइस गैंगमैन के पॉकेट में होगा. यह डिवाइस मंडल स्तर के मुख्य सर्वर से जुड़ा रहेगा. वहीं से रेलकर्मियों की गतिविधि की जानकारी मिल जायेगी. आमतौर पर देखा जाता है कि काम करने के लिए रेलकर्मी निकलते हैं,
लेकिन वो काम करने के बजाय अाराम फरमाते रहते हैं. रोजाना जितनी रेलवे ट्रैक की जांच करनी होती है. उतना जांच नहीं कर पाते है. ऐसे में हादसे होने की आशंका बनी रहती है. गत साल ही मुगलसराय-पटना रेलखंड के डाउन लाइन में बक्सर व बरुना रेलवे स्टेशन के बीच पंजाब मेल पटरी से उतर गयी थी. मुगलसराय-गया रेलखंड पर गत सप्ताह मालगाड़ी के 14 डिब्बे पटरी से उतर गये थे. इसके कारण ट्रेन सेवाएं पूरी तरीके से अस्त-व्यस्त हो गयी थी. इन दुर्घटनाओं से सबक लेते हुए रेलवे यह प्रयोग करने जा रहा है. इससे आधुनिक तरीके से ट्रैक की जांच की जा सकती है.
रेलवे ट्रैक की बेहतर तरीके से हो सकेगी निगरानी : रेलवे ट्रैक पर काम करनेवाले कर्मियों की अब मनमानी नहीं चलेगी. अब उनके काम पर डिवीजन कार्यालय से ही नजर रखी जा सकती है.
अब भी ज्यादातर गैंगमैन रेलवे ट्रैक पर काम करने के बजाय अधिकारियों के बंगले पर रहते हैं. अधिकारी भी अपनी सेवा के लिए कर्मियों को रखते हैं. इस डिवाइस के आने के बाद से अब अधिकारी भी अपने बंगले पर कर्मियों को नहीं रख सकते हैं, क्योंकि इसकी जानकारी वरीय अधिकारियों को मिल जायेगी. रेलवे पहले से ही कर्मियों कमी से जूझ रहा है. इसके कारण ट्रैकों का सही तरीके से निगरानी नहीं हो पाती है.
मंडल स्तर से होगी निगरानी
पांच हजार रुपये एक डिवाइस पर होंगे खर्च, ट्रैक जांच में मिलेगी मदद
दुर्घटनाओं को रोकने में मिलेगी मदद, मनमानी पर लगेगी रोक
पॉकेट में रखना होगा जीपीएस डिवाइस
रेलवे सेफ्टी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फिलहाल इस डिवाइस का प्रयोग पश्चिम रेलवे में किया जा रहा है.
आनेवाले दिनों में देश के सभी जोनों में इस डिवाइस का प्रयोग किया जायेगा, ताकि रेलवे ट्रैक की निगरानी बेहतर तरीके से किया जा सके. एक डिवाइस पर रेलवे को पांच हजार रुपये खर्च आयेगा. ड्यूटी के बदलने के बाद नये कर्मी इस डिवाइस को पॉकेट में रखेंगे.