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bhagalpur news. मां अन्नपूर्णा की पूजा आज से, 17 दिनों तक होगा आयोजन

जिले के अन्नपूर्णा मंदिरों में सोमवार को मां अन्नपूर्णा की पूजा व अन्य आयोजन शुरू होगा. यह पूजन अनुष्ठान 17 दिनों तक चलेगा.

जिले के अन्नपूर्णा मंदिरों में सोमवार को मां अन्नपूर्णा की पूजा व अन्य आयोजन शुरू होगा. यह पूजन अनुष्ठान 17 दिनों तक चलेगा. यह मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष पंचमी तिथि 10 नवंबर काे शुरू होकर 26 नवंबर तक चलेगा. शहरी क्षेत्र अंतर्गत जगन्नाथ सूड़ी लेन स्थित मां अन्नपूर्णा मंदिर में 17 दिनों तक पंडित रतन शर्मा के संचालन में शुरू होगा. वहीं कोतवाली चौक स्थित बाबा कुपेश्वरनाथ मंदिर स्थित मां अन्नपूर्णा मंदिर में पूजन आयोजन होगा. यहां पूजन का संचालन पंडित विजयानंद शास्त्री करेंगे. पंडित रतन शर्मा ने बताया कि मां अन्नपूर्णा माता का 17 दिवसीय महाव्रत सोमवार से शुरू होगा. इस व्रत को करने और माता की परिक्रमा से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस महाव्रत का समापन 26 नवंबर को होगा. 17 गांठों वाले धागे का पूजन करके भक्तों में वितरण किया जायेगा. इस पवित्र धागे को प्राप्त करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ेगी. महाव्रत के पूर्ण होने पर व्रती माता के दरबार में मन्नतों के अनुसार कोई 51 तो कोई 501 फेरी लगाता है. इस दिन धान की बालियों से मां अन्नपूर्णा के गर्भगृह समेत मंदिर परिसर को सजाया जायेगा. धान की बाली का प्रसाद भक्तों में बांटा जाता है. अंग क्षेत्र के किसान फसल की पहली धान की बाली मां को अर्पित करते हैं. उसी बाली को प्रसाद के रूप में दूसरी धान की फसल में मिलाते हैं. वो मानते हैं इससे फसल में वृद्धि होती है. महंत विजयानंद शास्त्री ने बताया कि मां अन्नपूर्णा का व्रत-पूजन दैविक-भौतिक सुख प्रदान करता है और अन्न-धन, ऐश्वर्य की कमी नहीं होती है. साथ ही बताया कि 26 नवंबर को मंदिर में मां अन्नपूर्णा का भव्य शृंगार, जोत जागरण एवं 24 घंटे का अखंड रामधुन संकीर्तन आयोजित किया जायेगा. उन्होंने बताया कि हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी अन्नपूर्णा माता पार्वती का अवतार हैं. एक समय पृथ्वी पर भयंकर सूखा पड़ा और अन्न का अभाव हो गया. भगवान शिव को लगा कि भोजन के बिना जीवन असंभव है, तो उन्होंने माता अन्नपूर्णा से भिक्षा स्वरूप अन्न स्वीकार किया. भगवान शिव ने पृथ्वी के समस्त प्राणियों में बांट दिया. इससे भूख और अकाल का संकट समाप्त हो गया. धरती फिर से अन्न-धान्य से भर उठी. इस व्रत को करने से घर में समृद्धि, सुख-शांति और अन्न की कभी कमी नहीं होती.

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