मार्गशीष कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि पर सोमवार को अन्नपूर्णा मंदिरों में मां अन्नपूर्णा की पूजा व अन्य आयोजन शुरू हो गये. यह लगातार 17 दिनों तक चलेगा. विधि-विधान से 26 नवंबर को समापन होगा. जगन्नाथ सूड़ी लेन स्थित मां अन्नपूर्णा मंदिर में पूजन कार्यक्रम पंडित रतन शर्मा के संचालन में शुरू हुआ, तो कोतवाली चौक स्थित बाबा कुपेश्वरनाथ मंदिर स्थित मां अन्नपूर्णा मंदिर में पूजन आयोजन हुआ. 17 गांठों वाले धागे का पूजन किया गया. किसी ने मंदिर की 51 तो किसी ने 501 परिक्रमा की. धान की बालियों से मां अन्नपूर्णा के गर्भगृह समेत मंदिर परिसर को सजाया गया. धान की बाली का प्रसाद भक्तों में बांटा गया. अंग क्षेत्र अंतर्गत भागलपुर के किसानों ने फसल की पहली धान की बाली मां को अर्पित की. उसी बाली को प्रसाद के रूप में दूसरी धान की फसल में मिलाया गया. मान्यता है कि इससे फसल में बढ़ोतरी होती है. महंत विजयानंद शास्त्री ने बताया कि मां अन्नपूर्णा का व्रत-पूजन दैविक-भौतिक सुख प्रदान करता है. अन्न-धन, ऐश्वर्य की कमी नहीं होती है.
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