‘फणीश्वरनाथ रेणु के सपनों का भारत’ विषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी
प्रतिनिधि, नवगछिया
हिंदी विभाग एवं आईक्यूएसी मदन अहल्या महिला महाविद्यालय, नवगछिया के संयुक्त तत्वावधान में महान आंचलिक साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु की जयंती के अवसर पर ‘फणीश्वरनाथ रेणु के सपनों का भारत’ विषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन एवं महाविद्यालय के संस्थापक द्वय मदन सिंह और अहल्या देवी की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ हुआ. मौके पर फणीश्वरनाथ रेणु के तैल चित्र पर भी अतिथियों ने माल्यार्पण किया. महाविद्यालय की छात्राओं ने स्वागत गीत और मां सरस्वती की वंदना से कार्यक्रम की गरिमा को बढ़ाया. इस अवसर पर कार्यक्रम के स्वागताध्यक्ष महाविद्यालय के प्रभारी प्रधानाचार्य डॉ राजीव कुमार सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि रेणु इसी अंचल के साहित्यकार हैं. यह महाविद्यालय परिवार के लिए गौरव की बात है कि उनकी जयंती के उपलक्ष्य पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है.
मैला आंचल रेणु की प्रसिद्धि का आधार बना
मुख्य वक्ता प्रो राजेंद्र साह ने कहा कि संगोष्ठियों की वजह से महाविद्यालय/ विश्वविद्यालय गुलज़ार और जीवंत रहते हैं. रेणु ने हिंदी साहित्य को जो दिया वह अविस्मरणीय और अनुकरणीय है. ‘मैला आंचल’ उनकी प्रसिद्धि का आधार है. विशिष्ट वक्ता हिंदी विभाग, एसकेएमयू दुमका के अध्यक्ष डॉ विनय कुमार सिन्हा ने मौके पर कहा कि न केवल हिंदी में बल्कि वैश्विक साहित्य में आंचलिक साहित्य लिखा गया है.ऑनलाइन माध्यम से इस संगोष्ठी में जुड़े उत्तर बंग विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ सुनील कुमार द्विवेदी ने कहा कि रेणु ने आजादी के पहले का, आजादी के समय का और आजादी के बाद के समय को बहुत करीब से देखा था. आजादी के बाद जब भारतीय जनता के सपने टूटे तब रेणु ने देश के नवनिर्माण की चिंता करते हुए साहित्य का सृजन किया.
रेणु के पुत्र पूर्व विधायक पद्म पराग वेणु ने कहा-धरती पुत्र थे रेणु
रेणु के सुपुत्र पूर्व विधायक पद्म पराग वेणु ने इस अवसर पर कहा कि रेणु धरती पुत्र थे. उनका साहित्य शोषितों, वंचितों, पिछड़ों और गरीबों का साहित्य है. धन्यवाद ज्ञापन डॉ. धर्मेंद्र दास ने किया।.मौके पर सभी विभागों के शिक्षक, छात्राएं और कर्मचारी उपस्थित रहे. मंच का संचालन डॉ अमरेंद्र कुमार सिंह ने किया. डॉ अनुराधा देवी, डॉ सुशील कुमार मंडल, अनिल कुमार मंडल, डॉ रीना चंद, डॉ सीता भगत, डॉ अनीता गुप्ता, डॉ. अनिता गुप्ता, डॉ सुमन कुमार, डॉ राहुल कुमार, डॉ उदिता यादव, डॉ. निकिता जायसवाल, डॉ अंजू कुमारी ने संगोष्ठी में सक्रिय भूमिका निभायी.
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