शहर के विभिन्न दुर्गा स्थलों पर महाअष्टमी पूजा, भोग और सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने बढ़ाया उत्सव का रंग
शहर के विभिन्न दुर्गा स्थानों पर मंगलवार को सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही. महिलाओं ने माता दुर्गा का खोइचा भर कर अपने सुहाग और परिवार की भलाई की कामना की. मध्यरात्रि में विधिपूर्वक संधि पूजन कराया गया, वहीं भोग वितरण और सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने उत्सव का माहौल और भी भक्तिमय बना दिया.
मुंदीचक गढ़ैया, कचहरी चौक, भैरवा तालाब परिसर, कंपनीबाग, मंदरोजा, आदमपुर चौक, भीखनपुर, मिरजानहाट, अलीगंज, मोहद्दीनगर, हड़ियापट्टी, लहरी टोला, गौशाला, जोगसर, उर्दू बाजार, लाजपत पार्क, हाउसिंग बोर्ड, बरारी, खंजरपुर, सबौर और नाथनगर सहित कई प्रमुख दुर्गा स्थानों पर सप्तमी और महाअष्टमी की धूमधाम से पूजा संपन्न हुई. रात्रि में निशा पूजा हुई. कचहरी चौक पर विशेष अष्टमी पूजन और रात्रि में संधि पूजन हुआ. मुंदीचक दुर्गा स्थान पर नवमी को दोपहर ढाई बजे हवन और शाम चार बजे कन्याओं का पूजन आयोजित किया जायेगा. आदमपुर चौक स्थित दुर्गा स्थान पर प्रातः नौ बजे महाअष्टमी पूजन संपन्न हुआ.
मोहद्दीनगर और मिरजानहाट दुर्गा मंदिर में महाअष्टमी पूजा हुई आयोजित
मोहद्दीनगर और मिरजानहाट दुर्गा मंदिर में महाअष्टमी पूजा आयोजित की गयी. बुधवार को यहां नवमी पूजा होगी. मोहद्दीनगर में अध्यक्ष राकेश रंजन केसरी और सचिव प्रफुल्ल चंद्र सिंह के संचालन में लोकगीतों पर आधारित नृत्य कार्यक्रम आयोजित कर भक्तों को मंत्रमुग्ध किया.बांग्ला विधि से माता दुर्गा की आराधना की गयी
मारवाड़ी पाठशाला परिसर में दुर्गाबाड़ी, कालीबाड़ी, रिफ्यूजी कॉलोनी और महाशय ड्योढ़ी में सप्तमी पूजा हुई, जहां बांग्ला विधि से माता दुर्गा की आराधना की गयी. दुर्गाबाड़ी और कालीबाड़ी में कोलकाता और अन्य स्थानों के कलाकारों ने ढाक की धुन पर श्रद्धालुओं का मन मोह लिया. अष्टमी पूजा प्रातः संपन्न हुई और ढाई बजे भोग अर्पित किया गया. कालीबाड़ी में रात्रि 12 बजे संधि पूजन हुआ, जिसमें 108 कमल फूलों की माला माता को पहनायी गयी और 108 दीप प्रज्वलित कर पूजन किया गया.1000 से अधिक हांडी भोग का वितरण
भक्तिमय आयोजन के दौरान मारवाड़ी पाठशाला परिसर में ढाई बजे भोग के वितरण का भी क्रम शुरू हुआ. 1000 से अधिक हांडी भोग का वितरण हुआ. कालीबाड़ी में 800 से अधिक हांडी पुलाव का भोग और दुर्गाबाड़ी में 1000 से अधिक हांडी का भोग श्रद्धालुओं के बीच वितरित किये गये. इस प्रकार शहर के दुर्गास्थल भव्य पूजा, भोग और सांस्कृतिक आयोजनों से परिपूर्ण होकर श्रद्धालुओं के लिए आनंद और भक्ति का केंद्र बने रहे.
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