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TMBU. प्रतिमा नहीं बदलेगी, होता रहेगा सिर्फ सम्मान का अभिनय

टीएमबीयू गांधी विचार विभाग.

-दो माह में गांधीजी की पुण्यतिथि होगी, पर नयी प्रतिमा स्थापित करने की फाइल पांच माह से पेंडिंग

संजीव झा, भागलपुर

बिहार स्टेट यूनिवर्सिटीज में इकलौता तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय है, जहां गांधी विचार विषय पर पीजी स्तर की पढ़ाई होती है. इस विभाग के कैंपस में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आदमकद प्रतिमा है. प्रतिमा छड़ व कंक्रीट से बनी है और पिछले तीन-चार वर्षों से जर्जर हो चुकी है. सीमेंट टूट कर गिरता रहता है और विभाग के जिम्मेदार मिस्त्री बुलाकर मरम्मत कराते रहते हैं. बार-बार की समस्या से दुखी शिक्षकों, छात्रों व कर्मचारियों ने निर्णय लिया कि नयी प्रतिमा स्थापित की जाये. कहीं पुरानी प्रतिमा किसी दिन गिर गयी, तो इससे न सिर्फ विभाग की प्रतिष्ठा गिरेगी, बल्कि यह घटना विश्वविद्यालय की गरिमा में भी आंच लगा देगी. नयी प्रतिमा स्थापित करने की फाइल विश्वविद्यालय भेजी गयी. विश्वविद्यालय ने अनुमति भी दी, पर आज तक एडवांस राशि जारी नहीं की. एडवांस राशि जारी करने की फाइल विवि में पूर्व कुलपति प्रो जवाहरलाल के कार्यकाल से ही पड़ी हुई है. अब अगले महीने 30 जनवरी को गांधीजी की पुण्यतिथि मनायी जायेगी. विवि के अधिकारियों, शहर के प्रबुद्धजनों, गांधीवादी व्यक्तियों, शिक्षकों व छात्र-छात्राओं का जुटान होगा. समारोह में फूल, माला, पुष्पांजलि, सर्वधर्म सभा, संबोधन सबकुछ जरूर होगा, लेकिन प्रतिमा वही पुरानी और जर्जर होगी. हैरत है कि इस तरफ जिम्मेदारों की संवेदना नहीं जग पा रही है.

स्थापना के समय देश का था यह इकलौता विभाग

टीएमबीयू में पीजी गांधी विचार विभाग की स्थापना दो इक्तूबर, 1980 को हुई थी. उस वक्त यह देश का इकलौता विभाग था, जहां गांधी विचार की पढ़ाई शुरू की गयी थी. राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जब वर्ष 1964 में भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति बने, तब उन्होंने गांधी विचारधारा पर यहां पाठ्यक्रम शुरू करने का विचार किया था.

2.40 लाख से नयी प्रतिमा स्थापित करने की मिली थी अनुमति

पीजी गांधी विचार विभाग के अध्यक्ष डॉ अमित रंजन सिंह ने बताया कि गांधीजी की नयी मूर्ति लगाने का निर्णय इसलिए लिया गया था कि मूर्ति की छड़ से सीमेंट टूट कर बार-बार गिर रहा है. बार-बार सीमेंट मंगा कर मरम्मत करा काम चलाया जा रहा है. पूर्व कुलपति प्रो जवाहरलाल के कहने पर एस्टिमेट के साथ प्रस्ताव दिया था. सारे दफ्तरों से पास कर 2.40 लाख रुपये से नयी मूर्ति लगाने का आदेश मिला. फिर इंजीनियरिंग शाखा को एडवांस के लिए चार-पांच माह पूर्व लिखा. उस समय कुलपति प्रो जवाहरलाल थे. मूर्तिकार अनिल कुमार को दिखा कर प्रतिमा निर्माण की बात भी तय हो चुकी है. उम्मीद है कि जल्द ही एडवांस राशि मिलेगी और कार्य शुरू होगा.

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