टीएमबीयू के पीजी अंगिका विभाग में बुधवार को एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गयी. कार्यक्रम का विषय बिहार रॉ लोकभाषा आरो अंगिका पर चर्चा की गयी. मौके पर पीजी हिंदी विभाग के पूर्व हेड प्रो योगेंद्र ने कहा कि अंगिका भाषा के विकास के लिए अंगवासी को मिलकर काम करने की आवश्यकता है. कहा कि अंगिका भाषा को आठवीं सूची में शामिल नहीं कर सौतेला व्यवहार कर रही है. साथ ही कहा कि इस तरह के आयोजन से पठन-पाठन का माहौल बनता है. वहीं, कला एवं सांस्कृतिक विकास पदाधिकारी अंकित रंजन ने विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने लगातार अंगिका बोलने व पढ़ने-लिखने पर जोर दिया. इस दौरान विभाग की सहायक प्राध्यापिका सह सेमीनार की संयोजक डॉ शोभा कुमारी की पुस्तक अंगिका साहित्य का इतिहास का लोकार्पण किया गया.
वहीं, अंगिका विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो बहादुर मिश्र व डॉ मधुसूदन झा ने अंगिका भाषा को आगे बढ़ने पर विस्तार से चर्चा की. जबकि पश्चिम बंगाल से आयी मुख्यवक्ता प्रो मंजु रानी सिंह ने अंगिका के साहित्य में हो रहे नई चुनौती पर बिहार सहित भारत वर्ष में अंगिका को जनसंख्या की दृष्टि पर प्रकाश डाला. सरकार से अविलंब आठवीं सूची में अंगिका भाषा को शामिल करने की मांग की. वहीं, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के प्रो शिव नारायण सिंह ने बिहार की लोक भाषा अंगिका के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला. कहा कि अंगिका लगातार अपने आठवीं सूची को प्राप्त करने की मंजिल नजदीक है. इस तरह के प्रयास से जरूर एक दिन सफलता मिलेगी. धन्यवाद ज्ञापन डॉ शोभा कुमारी ने किया. संगोष्ठी को सफल बनाने में टेक्नो पॉइंट के संस्थापक अंशु कुमार सिंह सहित कई साहित्यकार का योगदान रहा. मौके पर सहायक प्राध्यापक प्रोफेसर अनिल कुमार, हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो नीलम महतो, डॉ विजयनी, गौतम कुमार, मनजीत सिंह, अमरेंद्र, आमोद कुमार, रंजन, नीलू कुमारी, आरती कुमारी, अर्पिता चौधरी, श्वेता भारती, लक्ष्मी, गिरधर आदि मौजूद थे.
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