सत्संग अब केवल कार्यक्रम नहीं, यह साधना, सेवा, श्रद्धा और समर्पण की परीक्षा बन चुका है. भक्ति के मार्ग में बाधाएं भी सेवा का अवसर बन जाती हैं. संतमत सत्संग का दो दिवसीय आयोजन नवगछिया प्रखंड में गोनरचक में आयोजित किया गया. संतमत सत्संग के दूसरे दिन पूज्यपाद गुरुसेवी स्वामी भगीरथ दास जी महाराज थे. सत्संग के दूसरे दिन भक्ति, ज्ञान और गुरुचरण की महिमा से अभिसिंचित रहा. सैकड़ों श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंचे थे. पूरा वातावरण गुरुकृपा और संतवाणी से ओतप्रोत था. प्रथम दिवस की संध्या में जब सत्संग समाप्त हुआ, उसी रात एक अप्रत्याशित तेज आंधी और बारिश ने आयोजन स्थल को प्रभावित किया था. पूरे सत्संग पंडाल की संरचना तेज हवाओं और वर्षा से क्षतिग्रस्त हो गयी. तिरपाल फट गयी, बांस और रस्सियों की व्यवस्था ढह गयी. केवल मंच ही सुरक्षित रह पाया. गुरुसेवा केवल वाणी से नहीं, कर्म से होती है. कई श्रद्धालु बिना रुके सेवा में लगे रहे, किसी ने तिरपाल समेटा, तो किसी ने मंच के आसपास की सफाई की, तो कुछ ने आवश्यक वस्तुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की. यह भाव वास्तव में वही है, जिसे संतमत सेवा-धर्म के रूप में देखता है. सच्ची भक्ति वहीं है जो सुख में नहीं, संकट में खिलती है. यह जो बीती रात हुई वह प्रकृति की परीक्षा थी. सभी आसपास के ग्रामीणों विशेष कर नया टोला खगड़ा व नया टोला बोरवा सहित गोनरचक के सभी ग्राम वासियों ने आपदाओं से जूझते हुए एक बार फिर से सारे बिखरे पंडाल को साइड किया. सबों को बैठने की व्यवस्था की गयी. प्रतिकूल मौसम रहते हुए सबों के लिए प्रसाद की व्यवस्था की गयी. आयोजन समिति के सदस्य डॉ विकास कुमार, नीरज कुमार, छठू मंडल, प्रमोद मंडल, अरुण मंडल, रामरूप मंडल ने कहा इतनी विपदा के बाद यह सब हम सभी के सहयोग से ही संभव हो पाया.
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