-शहर में 40-45 जगहों पर शुरू हुआ पीसीसी का निर्माण, नहीं हो रही सही से मॉनीटिंग
निगम का दावा: इंजीनियरिंग कॉलेज से कराते है टेस्ट, रिपोर्ट के आधार पर होती कार्रवाईवरीय संवाददाता, भागलपुरशहर के सभी वार्डों में सड़कों का निर्माण निगम ने शुरू करा दिया है. 40 से 45 सड़कें बन रहीं हैं. इसमें से कई ऐसी सड़कें है, जो बनकर तैयार भी हो गयी है लेकिन, इसकी न तो मॉनीटिंग हो सकी है और न ही मेटेरियल की क्वालिटी टेस्ट करायी गयी. इस वजह से निगम की सड़कें बनने के कुछ समय बाद ही दम तोड़ देती है. इसका ताजा उदाहरण दुर्गाचरण हाइस्कूल रोड है. यह सड़क पांच सालों में दो बार बनी. अभी गिट्टियां उखड़ने लगी है. इशाकचक थाना रोड में रेलवे के दफ्तर के पास बनी सड़क की भी स्थिति कुछ ठीक नहीं है. इस सड़क का निर्माण भी अधूरी करायी गयी है. इधर, डॉ प्रदीप सिंघानिया की गली में भी सड़क बनी लेकिन, इसके मेटेरियल की क्वालिटी टेस्ट नहीं हो सकी. वहीं, डिक्सन मोड़ पर सड़क बन रही है और आधा से ज्यादा काम पूरा हो गया है लेकिन, मेटेरियल को टेस्ट के लिए नहीं भेजा गया. मेयर आवास के सामने नाले का निर्माण अब अंतिम चरण में है लेकिन, क्वालिटी टेस्ट नहीं हो सकी है.शहर के पास ढाई सौ से अधिक सड़कें, फिर भी क्वालिटी टेस्ट के लिए लेबोरेट्री नहीं
नगर निगम के पास छोटी-बड़ी 250 से अधिक सड़कें हैं लेकिन, उनके पास क्वालिटी टेस्ट के लिए लेबोरेट्री तक नहीं है. वहीं, पथ निर्माण विभाग के पास अधिकतम डेढ़ दर्जन सड़कें होंगी, बावजूद, इसके पास मेटेरियल की गुणवत्ता जांच के लिए अपना लेबोरेट्री है.15 साल से अधिक समय बाद भी ये सड़क नहीं बनी
शहर में निगम की ऐसी कई सड़कें है, जो 15 साल बाद भी नहीं बनी है. मजे की बात यह है कि इसका रखरखाव भी नहीं हो रहा है. इसमें मोजाहिदपुर थाने के सामने की सड़क है, तो गुड़हट्टा चौक से शीतला स्थान रोड से जुड़ती है. वहीं, सिकंदपुर और हसनगंज को जोड़ने वाली मोती लाल लेन की सड़क है. इसके अलावा भी ऐसी कई सड़क है, जो 15 सालों से नहीं बनी है.100 से ज्यादा सड़क व नाले का होगा निर्माण
शहर भर में 100 से ज्यादा सड़क व नाले का निर्माण होगा. निगम एजेंसी के साथ एग्रीमेंट कर रही है और इसके बाद निर्माण का कार्य हो रहा है. इन सभी सड़कें के निर्माण पर निगम करोड़ रुपये खर्च कर रही है. निगम में अब इंजीनियरों की फौजनगर निगम पहले इंजीनियरों की कमी से जूझ रहा था. योजनाओं का एस्टिमेट बनाने पर आफत हो गयी थी. इस वजह से सड़क व नाला निर्माण का कार्य स्लो ट्रैक पर था लेकिन, अब उनके पास इंजीनियरों की फौज हो गयी है. निगमकर्मी के अनुसार करीब 8 जेई, चार एइ व एक एग्जीक्यूटिव हो गया है. बावजूद, इसके योजनाओं का क्रियान्वयन तेजी से नहीं हो रहा है.कोट
सड़क निर्माण के लिए मेटेरियल की जांच करायी जाती है. जांच के लिए इंजीनियरिंग को भेजा जाता है. हालांकि, रिपोर्ट के आने में देरी होती है. एक महीने का समय लग जाता है. रिपोर्ट अगर गड़बड़ रहती है, तो कांट्रैक्टर को 10 प्रतिशत जमा राशि जब्त कर ली जाती है. आदित्य जायसवाल, योजना शाखा प्रभारीनगर निगम, भागलपुरडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है