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Bhagalpur News. लोन रिकवरी एजेंट करे परेशान, तो तुरंत दें पुलिस को सूचना

प्रभात खबर कार्यालय में लीगल काउंसलिंग.

प्रभात खबर लीगल काउंसलिंग में अधिवक्ता अक्षय कुमार शुक्ला ने पाठकों के सवालों का दिया जवाबप्रभात खबर कार्यालय में रविवार को आयोजित लीगल काउंसलिंग में भागलपुर व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता अक्षय कुमार शुक्ला ने कहा कि किसी भी रिकवरी एजेंट को वसूली के नाम पर उपभोक्ताओं को परेशान करने का अधिकार नहीं है. यदि कोई एजेंट धमकी देता है या उपभोक्ता को अपमानित करता है तो इसकी तत्काल शिकायत पुलिस से करनी चाहिए. उन्होंने बताया कि हाल के दिनों में शहर में ऋण लेने वाले उपभोक्ताओं, विशेषकर वाहन या व्यक्तिगत ऋण वालों की शिकायतें बढ़ी हैं कि कंपनियों के कथित रिकवरी एजेंट घर पहुंचकर धमकी दे रहे हैं. परिवार के अन्य सदस्यों को फोन कर जानकारी साझा कर रहे हैं. इससे लोगों की सामाजिक प्रतिष्ठा प्रभावित हो रही है. अधिवक्ता शुक्ला ने कहा कि ऋण वसूली के लिए कानून में स्पष्ट प्रावधान है. कंपनियों को न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से ही कार्रवाई करनी चाहिए, न कि दबंगई या धमकी के रास्ते से. उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में उपभोक्ता निडर होकर स्थानीय थाने में एफआईआर दर्ज करा सकते हैं. यह कदम उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा और विधिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक है. प्रभात खबर लीगल काउंसलिंग में बड़ी संख्या में पाठकों ने अधिवक्ता से सवाल पूछे, जिसका सहज शब्दों में जवाब दिया गया. प्रस्तुत है कुछ प्रमुख सवाल और उसके जवाब…

1. प्रश्न

– मैं भागलपुर के प्राइवेट कंपनी में काम करती हूं. घरवालों को बताए बिना मैं अपनी पसंद के लड़के से शादी कर चुकी हूं. उसके साथ ही रह रही हूं. सब कुछ ठीक चल रहा है. डर है, घरवालों को पता चलेगा तो क्या होगा ? मेरे पति के भी परिवार वालों को कुछ पता नहीं है.

अनामिका, तिलकामांझी

जवाब

– आप बालिग हैं तो कोई समस्या नहीं है. आप बेखौफ जिंदगी को जी सकते हैं. अच्छा होगा, सही समय देख कर दोनों पति पत्नी अपने-अपने घरवालों को जानकारी दें. अगर उनलोगों की भी सहमति होगी तो आपका जीवन और भी खुशहाल हो जायेगा.

2. प्रश्न

– तीन वर्ष पहले घरवालों की सहमति से प्रेम विवाह किया. एक बच्चा भी है. पति डिलीवरी ब्वॉय का काम करता है. सैलरी काफी कम है, घर चलाना मुश्किल हो गया है. छोटा बच्चा है, इसलिए मैं कोई काम नहीं कर सकती हूं. मायके वालों ने कहा, जब तक पति कम कमाता है तब तक मायके में ही रहो. पति मान नहीं रहा, रोज खटपट हो रही है. अब शादी करके पछता भी रही हूं.

शोभा, सराय.

जवाब

– आप पति को समझाने का प्रयास करें. परिवार के दूसरे सदस्यों की भी मदद लें. आप कहां रहेंगी, इसका निर्णय सिर्फ आपको करना है. इस निर्णय में कोई बाधक नहीं बन सकता है. उम्मीद है आपके पति आपकी बात को समझेंगे.

3. प्रश्न

– शहर में ट्रैफिक की स्थिति काफी खराब है. जहां-तहां जाम लग रहा है. मैं यातायात नियमों का पालन करता हूं. क्या जाम लगना व्यवस्था में जुड़े लोगों की नाकामी नहीं है, तो उनपर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है?

शमशेर आलम, मोजाहिदपुर

जवाब

– निश्चित रूप से कार्रवाई होनी चाहिए. आप इस मामले पर जिला प्रशासन और बिहार सरकार को पक्ष बनाते हुए हाईकोर्ट में पीआईएल दायर कर सकते हैं. निश्चित रूप से व्यवस्था में बदलाव जरूरी है.

4. प्रश्न

– मेरे पिता ने दो शादी की थी, एक पत्नी से तीन और दूसरी से एक संतान है. हमलोग तीन भाई हैं. सौतेला भाई कह रहा है कि जमीन दो हिस्सों में बंटे, क्योंकि मैं पिता की संपत्ति में आधा का हिस्सेदार हूं. उचित क्या होना चाहिए.

महेश मंडल, सबौर

जवाब

– कानूनी रूप से पिता की सभी संतानों में बराबर का हिस्सेदारी होती है. अगर पिता या माता जीवित हैं तो वे भी बराबर के हिस्सेदार होंगे. मिलकर फैसला लें, यही उचित होगा.

5. प्रश्न

– मैं अपना नाम जगजाहिर नहीं करना चाहता हूं. तीन साल पहले मुझे एक झूठे मामले में फंसाया गया. वरीय अधिकारियों को आवेदन दिया. पर्यवेक्षण में मेरा नाम हटाने और केस को बंद करने को कहा गया, लेकिन अब आईओ कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट देने के लिए 20,000 रुपए मांग रहा है. मैं उधेड़बुन में हूं, अगर किसी से शिकायत करता हूं तो हो सकता है आईओ मुझे फंसा दे और 20 हजार रुपए मेरे लिए बहुत हैं. मैं क्या करूं समझ नहीं आ रहा है.

एक पाठक, भागलपुर.

जवाब

– आप घूस मांगने के सभी प्रकार के साक्ष्यों को संकलित करें और मामले की शिकायत निगरानी विभाग को करें. निश्चित रूप से आपको न्याय मिलेगा और भ्रष्ट पुलिसकर्मी को सजा भी मिलेगी.

6. प्रश्न

– मुझे काफी ज्यादा ट्रैफिक चालान आ गया है. क्या लोक अदालत में चालान से संबंधित मामलों में सुनवाई होती है ?सौरभ कुमार, भवनपुरा, खरीक

जवाब

– अगले लोक अदालत में इस तरह के मामलों के लिए एक बैंच की व्यवस्था होने की उम्मीद है. वहां सुनवाई हो सकती है.

7. प्रश्न

– फायरिंग मामले में एक अपराधी को गिरफ्तार किया गया. जिस वक्त फायरिंग की गयी, उस वक्त वहां पर एक नाबालिग भी था. अब नाबालिग को भी आरोपित किया गया है. नाबालिग वर्तमान में फरारी है, जमानत के लिए क्या करना चाहिए.

रविन्द्रनाथ, बिहपुर

जवाब

– आप जुवेनाईल जस्टिस्ट बोर्ड में जमानत याचिका दायर करें, अगर नाबालिग लड़के का कोई केस हिस्ट्री नहीं है तो जमानत मिलने की उम्मीद है.

8. प्रश्न

– शिक्षक भर्ती में नौकरी दिलवाने के नाम पर एक डिफेंस अकादमी के सदस्य ने मुझसे डेढ़ लाख रुपये ले लिये. नौकरी तो मिली नहीं, अब पैसे भी वापस नहीं कर रहा है.

नीरज, भागलपुर.

जवाब

– डिफेंस अकादमी के पते पर लीगल नोटिस भेजें, अगर तय समय के अंदर संतोषजनक उत्तर नहीं आया तो संबंधित थाने में एफआईआर दर्ज करायें.

ब्लैकमेलिंग के एक मामले में थाने में नहीं लिया गया एफआईआर

अधिवक्ता अक्षय कुमार शुक्ला ने हाल में ही सामने आयी एक विवाहिता के दर्द को साझा करते हुए बताया कि एक विवाहिता का पूर्व प्रेमी उसे ब्लैकमेल कर रहा था. विवाह पूर्व प्रेमी के साथ बनाये गये अंतरंग संबंधों की वीडियो फिल्म बना कर विवाहिता को ब्लैकमेल किया जा रहा था, विवाहिता से एक लाख रुपये भी ऐंठ लिये गये थे. विवाहिता ने जब अधिवक्ता को पूरी कहानी बतायी तो एफआईआर कराने की सलाह दी गयी. लेकिन पुलिस ने मामले में एफआईआर करने के बजाय, पंचायती शुरू कर दी. विवाहिता को पूर्व प्रेमी से एक लाख में से 50 हजार वापस दिलाने की बात कह कर मामले में सुलह करने का दबाव बनाया जाने लगा. जब विवाहिता तैयार नहीं हुई तो पुलिस ने उसे कहा कि बात नहीं मानोगी तो अब तुम पुलिस के पास कभी मत आना. अधिवक्ता ने कहा कि विवाहिता को इतना ही फायदा मिला कि अब उसे पूर्व प्रेमी परेशान नहीं करता है लेकिन मामले में पुलिस को आरोपी लड़के को सजा दिलाना चाहिए था. सर्वप्रथम एफआईआर दर्ज कर, लड़के के मोबाइल और लैपटॉप को जब्त करना था, अब, निश्चित रूप से आरोपी सबूत को मिटा चुका होगा. जबकि कानून है कि पुलिस एफआईआर लेने से मना नहीं कर सकती है. अधिवक्ता ने कहा कि बहुत सारे पुलिसकर्मी बड़ी संजीदगी से काम करते हैं लेकिन कुछ के कारण पूरा महकमा बदनाम होता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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