भागलपुर हुस्न और इश्क का जिक्र आते ही जिगर मुरादाबादी का नाम बेसाख्ता जबान पर आ जाता है. दरअसल, रविवार को बरहपुरा में अंजुमन बाग व बहार के तत्वावधान में रविवार को शायर जिगर मुरादाबादी की जयंती मनायी गयी. इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि मोहब्बत में महरूमी और मायूसी का सामना करने वाले जिगर की शायरी में ये एहसास शिद्दत से बयां होते हैं. उनकी रचनाओं में भारत और यहां के लोगों की मोहब्बत स्पष्ट तौर पर दिखती है. उनकी लिखी गजल आमलोगों की जुबान पर अब भी है. लोग साधारण बातचीत में उनके शेर का उपयोग करते हैं. जैसे, ये इश्क नहीं आसां इतना ही समझ लीजे, इक आग का दरिया है और डूब के जाना है. कुछ दिन पहले उनका एक शेर खूब वायरल हुआ है. लोग इसे अपने-अपने तरीके से उपयोग कर रहे हैं. यह वर्तमान राजनीतिक पर करारा प्रहार करता है. उन का जो फर्ज है वो अहल-ए-सियासत जानें, मेरा पैगाम मोहब्बत है जहां तक पहुंचे.
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