भागलपुर माह-ए-रमजान में अल्लाह की बेशुमार नेमत बंदों के लिए होती है. पूरा माह रहमत व बरकत से भरा है. इस माह में मोमिन का रोजी बढ़ा दी जाती है. एक नेकी के बदले इस माह में 70 गुणा सवाब मिलता है. इस माह का खास एहतराम करने की जरूरत है. उक्त बातें बरहपुरा जामा मस्जिद के इमाम हाफिज कुदरत उल्लाह ने कही. कहा कि माह-ए-रमजान में अल्लाह अपने बंदों के करीब होते है. रोजादारों को खुद अल्लाह इनाम फरमाते हैं. इस माह ज्यादा से ज्यादा इबादत करें. अपने गुनाहों की माफी मांगे. रमजान का पहला असरा रहमत का है. दूसरा असरा गुनाहों से निजात व तीसरा असरा जहन्नूम से निजात का है. कहा कि नसीब वालों को माह-ए-रमजान का माह मिलता है. इस माह का रोजा फर्ज है. हर बालिग मर्द व औरतों को रोजा रखना अनिवार्य है. इस माह में अपने गुनाहों की तौबा करें. जरूरतमंद लोगों की मदद करें. हाफिज कुदरत उल्लाह ने बताया कि इस माह में तरावीह की विशेष नमाज पढ़ी जाती है. बताया कि रोजादारों को इबादत से लेकर सोने पर भी सवाब मिलता है. इसलिए इस माह का खास कदर करनी चाहिए.
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