भागलपुर – सैंडिस कंपाउंड में आयोजित तीन दिवसीय मंजूषा महोत्सव में रविवार को जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी अंकित रंजन ने कहा कि मंजूषा बिहार की अमूल्य धरोहर है. इसमें भ्रांति की कोई गुंजाइश नहीं है. मंजूषा चित्र के ऐसे कई पहलू हैं जो इसे बाकी दूसरी चित्रों से अलग और अद्वितीय बनता है. मानव कृति को एक्स आकार में बनाना, तीन रंगों का प्रयोग, बिहुला विषहरी की लोक गाथा का विषय इसे बाकी अन्य लोक कलाओं से भिन्न बनता है. वरीय उपसमाहर्ता एवं जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी अंकित रंजन ने संयुक्त रूप से किया. इस अवसर पर पदाधिकारियों ने प्रदर्शित मंजूषा चित्रकला प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया. कार्यक्रम में आर्टिस्ट कैंप का भी आयोजन किया गया, जिसमें चयनित 15 मंजूषा कलाकारों द्वारा मंजूषा महोत्सव के दौरान तीन दिनों तक मंजूषा कलाकार लाइव डेमो देते हुए एक साथ चित्र बनाएंगे. मंजूषा संगति का आयोजन भी मंजूषा महोत्सव के दौरान आज किया गया. मंजूषा संगति के पहले दिन में नौ वक्ताओं ने अपने विचार मंच पर दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया.
मंजूषा पर मंथन
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मंजूषा चित्रकला की बनावट रूपरेखा और इसके मूलभूत संरचना में अस्पष्टता के कारण मंजूषा सीखने और सिखाने वालों के बीच में कई प्रकार की भ्रांतियां उत्पन्न हो रही है. जैसे इसमें कितने रंग होंगे? इसकी रेखाएं कैसी हो? इसके आकार कैसे गढ़े जाए, इसके सीमांकन, रंग विन्यास, विषय आदि पर गंभीरता से मंथन किया गया. कार्यक्रम को साहित्यकार डॉ अमरेंद्र, मनोज पंडित, प्रख्यात मंजूषा कलाकार उलूपी झा, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की रिसर्च स्कॉलर सारिका कुमारी ने भी संबोधित किया.
संगीत संध्या का आयोजन
मंजूषा महोत्सव के अवसर पर कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के दौरान सामाजिक विषयों पर आधारित नाटक, गीत, संगीत और नृत्य का आयोजन किया गया. स्थानीय भाषाओं में प्रस्तुत किये गये नाटकों को खूब सराहना मिली.
200 से अधिक मंजूषा चित्रों की प्रदर्शनी
सैंडिस कंपाउंड में प्रशासनिक विभागों और स्थानीय कलाकारों द्वारा तरह तरह के सामग्रियों की प्रदर्शनी लगायी गयी है. शाम के समय में बड़ी संख्या में शहर के लोग प्रदर्शनी देखने पहुंचे. 200 से अधिक मंजूषा चित्रों की प्रदर्शनी लगायी गयी है. मंजूषा प्रिंट वाले अत्याधुनिक सलवार सूट, गमछा, रूमाल, कुर्ता आदि कई तरह की सामग्री लोगों के आकर्षण के केंद्र में रहे. स्मार्ट सिटी द्वारा टाउन हॉल, आइ ट्रिपल सी के मॉडल की प्रस्तुति की थी. इसके अलावा लोहिया स्वच्छता अभियान, मनरेगा, जीविका समूह, मधुमक्खीपालन, कुटिर उद्योग, उत्पाद विभाग, अग्निशमन सेवा द्वारा भी स्टॉल लगाया गया था.
कस्तूरबा विद्यालय का पहली बार लगा स्टॉल
कस्तूरबा विद्यालय के रसोइयों के द्वारा पहली बार स्टाल लगाया गया है. स्टॉल पर समोसा, चाट, ब्रेड पकोड़ा सहित अन्य व्यंजन है. जिसकी जमकर बिक्री हो रही है. कस्तूरबा से जुड़े को-ऑर्डिनेटर ने बताया कि इस स्टाल का उद्देश्य इतना है कि हम कैसे सही समय पर समय अनुसार रोजगार सृजन करके कुछ कमा सकते हैं. इस स्टाल में कस्तूरबा विद्यालय टाइप चार साहू परबत्ता की रसोइया निशा कुमारी, कस्तूरबा टाइप वन शाहकुंड की रीता देवी और कस्तूरबा टाइप वन धरहरा गोपालपुर की कविता देवी लजीज नाश्ता तैयार कर रही है. जबकि कस्तूरबा गांधी सबौर की छात्राओं द्वारा ग्रीटिंग्स और स्टीकर की प्रदर्शनी की लोग खूब सराना कर रहे हैं.
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