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Bhagalpur News. राष्ट्रीय कवि दिनकर को 117वीं जयंती पर साहित्यकारों ने दी श्रद्धांजलि

साहित्यकारों ने दिनकर को दी श्रद्धांजलि.

साहित्य सफर संस्था की ओर से मंगलवार को प्रगति शिक्षण संस्थान, मंदरोजा में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 117वीं जयंतीमनाई गयी. कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था के संस्थापक जगतराम साह कर्णपुरी ने की. उद्घाटन दिनकर के चित्र पर माल्यार्पण कर साहित्यकार रंजन कुमार राय ने किया. इस अवसर पर उपस्थित साहित्यकारों और कवियों ने पुष्प अर्पित कर राष्ट्रकवि को भावभीनी श्रद्धांजलि दी.संबोधन में साहित्यकार रंजन कुमार राय ने कहा कि राष्ट्रकवि का भागलपुर से गहरा संबंध रहा है. साठ के दशक में उन्होंने भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में योगदान दिया था. यह धरती उनकी साहित्य साधना की भूमि रही है. यहां आयोजित कवि सम्मेलनों में भी शामिल होते रहे हैं. मुख्य अतिथि प्रेम कुमार प्रिय ने कहा कि वे ओज और राष्ट्रभक्ति के कवि थे. उनकी प्रमुख रचनाओं में कुरुक्षेत्र, उर्वशी, परशुराम की प्रतिज्ञा और संस्कृति के चार अध्याय हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर है. समारोह की अध्यक्षता करते हुए जगतराम साह कर्णपुरी ने कहा कि स्वतंत्रता के पूर्व वह विद्रोही कवि के रूप में जाने जाते थे, स्वतंत्रता के बाद राष्ट्रकवि के रूप में प्रतिष्ठित हुए. कार्यक्रम में कवि अजय शंकर प्रसाद, शिवम कुमार, लाल बिहारी शर्मा, अशोक कुमार, गोपाल महतो, राजीव रंजन और हिमांशु शेखर ने भी विचार व्यक्त किये.

साहित्य के सूर्य हैं दिनकर: डॉ. किनवार

छोटी खंजरपुर स्थित कुमार क्विज में नवोत्साह साहित्य संगम के बैनर तले एकल व्याख्यान का आयोजन कर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर श्रद्धांजलि दी गयी. कार्यक्रम में वक्ताओं ने दिनकर को साहित्य का सूर्य बताया, जिनकी रचनाएं आज भी समाज को नई दिशा देती हैं. डॉ. किनवार ने कहा कि दिनकर सचमुच साहित्य जगत के ऐसे सूर्य हैं, जिनका कभी अस्त नहीं होगा. उन्होंने श्रृंगार लिखा तो उसका कोई सानी नहीं, ओज लिखा तो प्रतिमान स्थापित कर दिया और गद्य में पूरी संस्कृति को चार अध्यायों में समेट दिया. हिंदी ही नहीं, विश्व साहित्य में भी उनकी जैसी प्रतिभा दुर्लभ है. संगठन की जिलाध्यक्ष मृदुला सिंह ने कहा कि दिनकर की कविताएं समाज का यथार्थ प्रस्तुत करती हैं. आजादी के समय लिखी उनकी कविताएं आज भी प्रासंगिक हैं. संगठन मंत्री कुमार गौरव ने दिनकर रचित पंक्तियों का गायन कर युवाओं में जोश भर दिया. कार्यक्रम में डॉ. नीरज कुमार, मिथिलेश आनंद, अर्पिता चौधरी, अभिलाषा कुमारी, चक्रधर कृष्णा, सूरज भारती, वर्षा, पूजा, रोहित, आशुतोष, निधि, लूसी, सुमित राजकुमार, मनीषा भारती, शबनम, पुरुषोत्तम, अभिरंजन सहित दर्जनों युवा व साहित्य प्रेमी उपस्थित थे.

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