नवगछिया व्यवहार न्यायालय के वरीय अधिवक्ता विभाष प्रसाद सिंह ने लीगल काउंसलिंग में पाठकों के प्रश्नों का दिया जबावप्रभात खबर कार्यालय में रविवार को आयोजित लीगल काउंसलिंग में नवगछिया व्यवहार न्यायालय के वरीय अधिवक्ता विभाष प्रसाद सिंह ने कहा कि नये आपराधिक कानून लागू होने से पुलिस अनुसंधान की प्रक्रिया में कुछ हद तक सुधार आया है, लेकिन अभी भी व्यापक बदलाव की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि नये कानून के तहत गवाहों के बयान का वीडियो रिकार्ड अदालत में प्रस्तुत करना अनिवार्य किया गया है, ताकि न्यायिक प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और सटीक हो सके. हालांकि, फिलहाल पुलिस द्वारा प्रस्तुत अनुसंधान रिकार्ड में डिजिटल साक्ष्यों को शामिल नहीं किया जाता है, जिसके कारण मुकदमों के निष्पादन में देरी और कठिनाई उत्पन्न होती है. सिंह ने कहा कि यदि पुलिस अनुसंधान में तकनीकी साधनों का सही तरीके से उपयोग शुरू हो जाए, तो मामलों के निपटारे में तेजी आएगी और पीड़ितों को न्याय समय पर मिल सकेगा. उन्होंने इसे न्याय व्यवस्था में सुधार की दिशा में अहम कदम बताया. अधिवक्ता ने बड़ी संख्या में पाठकों के प्रश्नों का उत्तर दिया. प्रस्तुत है प्रमुख प्रश्न और उत्तर…
1. प्रश्न – मारपीट की घटना में मुझे आरोपी बना दिया गया है. घटना के बाद से ही मैं बाहर रह रहा हूं. पुलिस कह रही है केस बेलेबल है. आप आइए आपको थाने से बेल दे देंगे. क्या पुलिस पर विश्वास करना चाहिए. क्या पुलिस मुझे गिरफ्तार भी कर सकती है.
शंकर साह, भागलपुरउत्तर – आप किसी अधिवक्ता से सलाह ले कर पहले एफआईआर के संदर्भ में जानकारी ले लें. अगर आरोपों में सात वर्ष से कम सजा का प्रावधान है तो पर्यवेक्षण के पश्चात आपको पुलिस जमानत दे सकती है. अगर सात वर्ष से अधिक सजा का प्रावधान है तो आपको अग्रिम जमानत लेना होगा.2. प्रश्न – एक दुकानदार से मैंने 5000 रुपए में एक जोड़े जूते की खरीददारी की. खरीददारी के वक्त कहा जा रहा था कि यह तो वर्षों चलने वाला जूता है. लेकिन एक माह बाद ही जूता टूट गया. अब दुकानदार न तो रिपेयरिंग की सुविधा दे रहा है और न ही बदल रहा है, क्या करना चाहिए ?कपिल तिवारी, खंजरपुर
उत्तर – आप खरीददारी के वक्त मिले रसीद और वारंटी कार्ड के साथ उपभोक्ता अदालत में अपना मामला रखें. उम्मीद है आपको न्याय मिलेगा.3. प्रश्न – इस्माइलपुर बहियार में 10 हजार रुपए प्रतिमाह के हिसाब से शराब बनाने का धंधा करता था, लगभग एक साल काम चला. महज छह माह का ही मेहनताना मिला. बचा हुआ मेहनताना मांगने पर रोज टाल मटोल कर रहा है. क्या करना चाहिए ?संतोष कुमार, इस्माइलपुर
उत्तर – गैरकानूनी व्यापार में कोई भी करार शून्य माना जाता है. आप कानूनन रकम प्राप्त करने के हकदार नहीं है. आपके लिए अच्छा होगा कि आइंदे से अगर कोई भी आपको इस तरह का कार्य ऑफर करे तो इनकार करते हुए सूचना पुलिस को दें.4. प्रश्न – मैं भागलपुर में एक लॉज में रहकर पढ़ाई करती हूं. लगभग एक साल पहले एक लड़के से दोस्ती हुई लेकिन उसके साथ मैंने कभी प्यार या शादी की बॉन्डिंग नहीं की है. बस मैं उसे दोस्त मानती हूं. लेकिन पिछले कुछ माह से लड़का मुझ पर हक जताता है. वह कई बार प्रपोज कर चुका है, जिसे मैं इनकार कर चुकी हूं. मैं कुछ भी करती हूं तो लड़का रोक टोक करता है. यहां तक कि कॉलेज या कोचिंग में किसी अन्य दोस्त से बात करना भी उसको खराब लगता है. मैं परेशान हो चुकी हूं. मुझे क्या करना चाहिए.
अलका, भागलपुर.उत्तर – लड़के के बारे में अपने माता – पिता, दोस्तों के साथ साथ उस लड़के से जिन लोगों का जुड़ाव है, उसे यह बात बतायें. साथ ही कोचिंग के शिक्षकों को भी मामले से अवगत करायें और नजदीकी थाने में सनहा दर्ज करायें. अगर लड़का कभी कोई बुरा बर्ताव करे तो तुरंत आप पुलिस के 112 नंबर पर कॉल करें. इस तरह से आप परेशान हैं तो छिपाने की जरूरत नहीं है. कोई भी आपके साथ इस तरह की हरकत नहीं कर सकता है.
5.प्रश्न. मेरा बच्चा बार बार बीमार पड़ जाता है. मुझे लगता है पड़ोस में रहने वाली एक बूढ़ी आंटी मेरे बच्चे पर काला जादू कर देती है. आंटी की हरकत संदेहपूर्ण रहता है. कई बार उसे टोटके करते हुए देख चुकी हूं. क्या मैं कोई कानूनी कार्रवाई कर सकती हूं ?एक पाठिका, भागलपुरउत्तर – विज्ञान के इस युग में आज काला जादू जैसी अप्रमाणिक बात कर रही हैं. इस तरह की बातों का कानून में कोई स्थान नहीं है. अपने बच्चे का इलाज अच्छे डॉक्टर से करायें. 6. प्रश्न – मेरे नाना नानी को चार पुत्री और एक पुत्र है. जबकि मामा और मामी को कोई संतान नहीं है. पिछले दिनों मेरी मामी ने सभी पैतृक संपत्ति अपने एक चचेरे भतीजे को दान में दे दी है. क्या पैतृक संपत्ति पर मेरी मम्मी का हक है ?अनिमेष सिन्हा, तिलकामांझी.
उत्तर – हां पैतृक संपत्ति पर आपकी मां का भी हक है. आप संबंधित जिले के सिविल कोर्ट में में बंटवारा सूट दाखिल करें. 7. प्रश्न – कुछ लोगों ने बताया कि दादाजी के नाम से कुछ जमीन निकली है, लेकिन मेरे पास कोई कागज नहीं है. मुझे जमीन प्राप्त करना है, इसके लिए क्या करना चाहिए ?निक्की सिंह अंशु, फतहपुर, सजौरउत्तर – पहले अंचल कार्यालय जा कर आप पता कर लें कि आपके दादाजी के नाम से कौन सी जमीन है. इस तरह के मामलों में कही सुनी बातों पर भरोसा न करें. अगर आपके दादाजी के नाम से जमीन होगी तो निश्चित रूप से उस पर आपका भी हक होगा. 8. प्रश्न – तीन वर्ष पहले शादी हुई है लेकिन शादी के बाद मुझे कभी भी ससुराल में रहने नहीं दिया गया. उसे बार बार भगा दिया जाता है. मुझे तरह तरह की प्रताड़ना दी जा रही है और न ही किसी तरह का मेंटनेंस खर्च भी नहीं दिया जाता है. मुझे क्या करना चाहिए ?नेहा, नवगछिया.
उत्तर – आप महिला थाने में एफआईआर दर्ज करायें और परिवार न्यायालय में अपना वाद दायर करें.नवगछिया के राजस्व जिला बनने से होगा न्यायिक व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन
अधिवक्ता विभाष प्रसाद सिंह ने नवगछिया की न्यायिक व्यवस्था पर बातचीत के क्रम में कहा कि नवगछिया अगर राजस्व जिला बन जाता है तो न्यायिक व्यवस्था में भी आमूलचूल परिवर्तन होगा. नवगछिया में जिला जज का पद सृजित होने के साथ साथ कई कोर्ट की स्थापना होगी. जिससे त्वरित और सुलभ न्याय का रास्ता आसान हो जाएगा. अधिवक्ता ने कहा कि इस मुद्दे पर नवगछिया के आमलोग, बुद्धिजीवी वर्ग और सभी राजनीतिक दलों के लोग एकमत हैं. समय समय पर लोग संघर्ष करते आये हैं. ऐसी स्थिति में सरकार को जल्द ही नवगछिया को पूर्ण जिला का दर्जा देना चाहिए. पूर्ण जिला का दर्जा मिलते ही नवगछिया में मंथर पड़ गयी विकास की गति में भी तेजी आयेगी.
शराबबंदी बिहार की जरूरत – जारी रहना चाहिए यह कानून
अधिवक्ता ने कहा कि बिहार एक गरीब राज्य है. प्रति व्यक्ति आय के मामले में भी यह दूसरे राज्यों से काफी पीछे है. ऐसी स्थिति में शराब का शौक अनैतिक और नाजायज है. ऐसी स्थिति में बिहार में शराबबंदी का निर्णय एक अच्छा काम है. इस कानून से सामाजिक बदलाव देखने को मिला है. निश्चित रूप से आगे भी इसे जारी रखने की जरूरत है. अधिवक्ता श्री सिंह ने कहा कि यह अलग बात है कि शराबबंदी को सख्ती से अब तक लागू नहीं किया गया है. चोरी छिपे शराब बिक रहे हैं. लेकिन पहले जो लोग खुलेआम शराब पीते थे और उपद्रव करते थे, अब ऐसा नहीं देखा जाता है. वे बिना किसी संकोच के कह सकते हैं कि जो भी बिहार में शराब का सेवन करते हैं, वे असामाजिक तत्व हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

