भारत सरकार ने दो मामलों में डॉक्यूमेंटेशन (दस्तावेजीकरण) कराने का निर्णय लिया है. इसमें पहला भारत में स्वदेशी जातीय आहार परंपरा और दूसरी भारत में विभिन्न स्वदेशी धार्मिक प्रथाओं व अनुष्ठानों में उपयोग की जानेवाली सामग्रियां. इन दोनों कार्यक्रमों का आयोजन भागलपुर में होगा. इसकी जिम्मेदारी आयुष मंत्रालय के क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान, पटना को मिली है, जो केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद, नयी दिल्ली द्वारा संचालित है. संस्थान के प्रतिनिधि जिला प्रशासन से मिल कर उक्त दोनों कार्यक्रम के लिए प्रशासनिक स्वीकृति के साथ-साथ स्थानीय पदाधिकारियों से सहयोग दिलाने का अनुरोध किया है. अध्ययन का उद्देश्य इसका उद्देश्य संपूर्ण भारत में धार्मिक प्रथाओं और अनुष्ठानों में उपयोग किये जानेवाले पौधों, धातुओं, खनिजों, पशु उत्पादों और अन्य सामग्रियों के बारे में जानकारी का दस्तावेजीकरण करना है. भारत में प्राचीन काल से ही कई धार्मिक प्रथाएं और अनुष्ठान किये जाते रहे हैं. इनमें विभिन्न सामग्रियों का उपयोग होता रहा है, लेकिन इसका बहुत कम अध्ययन उपलब्ध है. इस अध्ययन से मूल्यवान ज्ञान का दस्तावेजीकरण और संरक्षण करने में मदद मिलेगी. इन्हें किया जायेगा अध्ययन में शामिल वैसे लोग भी इस अध्ययन में शामिल हो सकेंगे, जिन्हें प्रथाओं और अनुष्ठानों की बेहतर जानकारी है. धार्मिक प्रथाओं और अनुष्ठानों को करने या उनकी देखरेख में सक्रिय रहनेवाले पुजारी, ग्रंथी, पादरी, भिक्षु, वैदिक विद्धान आदि भी शामिल किये जायेंगे. स्थानीय समुदाय की सहभागिता भी तय की जायेगी. अध्ययन के दौरान साक्षात्कार किया जायेगा. अन्वेषक द्वारा जानकार लोगों से प्रश्न पूछा जायेगा. समूह चर्चा की जायेगी. इसका ऑडियो-वीडियो विजुअल और फोटोग्राफी भी होगी. अध्ययन में भाग लेनेवालों की पहचान उजागर नहीं की जायेगी. अध्ययन में दर्ज किये गये डेटा को प्रमुख वैज्ञानिक पत्रिकाओं में प्रकाशित किया जायेगा, ताकि ज्ञान को संरक्षित किया जा सके.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

