बाढ़ से डूबे घर से बेघर होकर एनएच-80 किनारे अस्थाई आशियाना बना कर रह रहे घोघा ब्रह्मचारी टोला, फुलकिया, दिलदारपुर, इमादपुर व अन्य निचले गांवों के लोग बुधवार के देर रात से दिनभर झमाझम बारिश होने से प्रकृति की दोहरी मार झेलने को मजबूर हैं. तंबुओं में कैद होकर रहना है. एक चौकी पर एक परिजन के पांच सदस्यों परिवार के छोटे बच्चे व बकरी को लेकर जीवन यापन कर रहे हैं. प्रभात खबर की टीम गोलसड़क चौक से शंकरपुर तक गयी. दर्जनों परिवार झोपड़ी में अपना चौकी, बिछौना, कपड़ा, राशन व चूल्हा बर्तन समेटकर सुरक्षित रहने के लिए ऊंचे स्नान पर जा रहे हैं. पुराने बांस व लकड़ियों को खड़ा कर उस पर पालीथीन सीट डाल कर दिन काट रहे हैं. बुधवार को हवा के साथ दिनभर झमाझम बारिश ने पालीथीन सीट को उजाड़ दिया.
जल के बीच प्यासे :
चारों तरह से जल से घिरे बीच में एक चौकी पर अपने छह बच्चों के साथ रहने वाले जगदीश मंडल, आरती देवी, लक्ष्मी देवी, बिकानी कुमार, राजू मंडल, ननकी देवी, सपना, अंशु, गायत्री ने बताया कि खाना तो किसी तरह खा लेते हैं. पीने का पानी सहजता से नसीब नहीं हो रहा है. दूर से पानी लाकर पीना पड़ता है. कर्ई जगह चल रहे सामुदायिक किचन में बाढ़ पीड़ितों को पालीथीन टांग कर भोजन कराया जा रहा है. कुछ जगहों पर खुले आसमान के नीचे बैठा कर भोजन कराया जा रहा है.पशुओं को चारे के लाले :
बाढ़ व बारिश में बाढ़ पीड़ित अपना और अपने परिवार को किसी तरह पाल लेते हैं. पालतू पशुओं बकरी, गाय, भैंस का पेट भरने में काफी परेशानियों को सामन करना पड़ रहा है. घोघा से ट्रेन से जाकर बिक्रमशिला व मथुरापुर लक्ष्मीपुर हंसिया व रस्सी लेकर जाते हैं और वहां के खेत व रेलवे ढालों के किनारे से घंटों घास काट कर दूसरे ट्रेन से लौट आते हैं, तब जाकर पशुओं का पेट भर पाता है. केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार को कहलगांव में गंगा का जलस्तर 32.62 मीटर दर्ज किया हैं. जो खतरे के निशान (31.09) से अभी भी एक मीटर 53 सेमी ऊपर है. आयोग के पूर्वानुमान में जलस्तर धीरे-धीरे घट रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

