Exclusive: ब्रजेश/ भागलपुर जिले के पीरपैंती में सौर ऊर्जा परियोजना के लिए चिह्नित जमीन की खोजबीन शुरू हो गयी है. इस क्रम में बिहार स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड को जानकारी मिली कि जितनी जमीन चिह्नित की गयी है, उसमें कुछ अब तक हस्तांतरण नहीं हो सका है. यानी, वह बिहार सरकार की भूमि है और अंतर विभागीय ट्रांसफर नहीं हुई है. इस वजह से आगे की कार्रवाई बाधित है. हस्तांतरण नहीं होने वाली बिहार सरकार की भूमि सर्वसाधारण 20.99 एकड़ एवं बिहार सरकार की 112.26 एकड़ है. इस परियोजना के लिए 1179.08 एकड़ भूमि की आवश्यकता है और इसको चिह्नित की गयी है.
पावर जेनरेशन कंपनी के एमडी ने डीएम को लिखा पत्र
बिहार स्टेट पावर जनरेशन कंपनी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक निलेश रामचंद्र देवरे ने जिलाधिकारी डॉ नवल किशोर चौधरी को पत्र लिखा है और भूमि को लीज पर देने का प्रस्ताव राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, पटना को अविलंब भेजने की बात कही है. इस संबंध में सूचित करने को भी कहा गया है. दरअसल, बिहार स्टेट पावर जनरेशन कंपनी लिमिटेड की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि ऊर्जा विभाग की ओर से मार्च 2022 में निर्णय लिया गया है कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, पटना एवं बिहार खासमहाल कजरा में सौर उर्जा परियोजना के लिए उपलब्ध भूमि को 33 वर्षों के लिए एक रुपये प्रति वर्ष के सांकेतिक दर पर पावर जेनरेशन कंपनी को लीज पर उपलब्ध कराया जायेगा. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग से संपर्क करने पर जानकारी मिली कि लीज निष्पादन के लिए विधिवत प्रस्ताव जिला से अप्राप्त है, जिसके कारण लीज का निष्पादन अब तक नहीं हो सका है.
चिह्नित जगह अब थर्मल पावर प्लांट बनेगा
जानकारी के अनुसार, सौर ऊर्जा के लिए जो भूमि चिह्नित की गयी है, उस पर अब थर्मल पावर प्लांट का निर्माण होगा और इसलिए हस्तांतरण के लिए जितनी भूमि रह गयी है, उसकी खोजबीन की जा रही है. इसी संबंध में पावर जेनरेशन कंपनी ने जिलाधिकारी को पत्र लिखा है.
ये रही वजह
सौर ऊर्जा परियोजना पर काम नहीं होने की वजह यह बताई जा रही है कि चिह्नित भूमि उबड़-खाबड़ है और नाले का पानी जमा रहता है. हालांकि, यह भी बात सामने आयी है कि इस पर जब थर्मल पावर प्लांट बनेगा, तो कुछ बच जाने वाली जमीन पर सौर ऊर्जा परियोजना पर काम हो सकता है.
इन मौजा में रह गयी जमीन हस्तांतरण होना
सिरमतपुर में 1.62 एकड़, मुंडवा और तुंडवा में 15.30 एकड़, हरिणकोण में 24.94 एकड़ एवं हरिणकोल के दूसरे भाग में 70.40 एकड़ बिहार सरकार की भूमि हस्तांतरण के लिए रह गयी है.