36.2 C
Ranchi

BREAKING NEWS

लेटेस्ट वीडियो

Bhagalpur News: फाइन आर्ट्स क्राफ्ट में राष्ट्र फलक पर दिखी डॉ ज्योतिष चंद्र की चमक

बिहार रेशम एवं वस्त्र संस्थान, नाथनगर के प्रशासनिक पदाधिकारी रहे मंजूषा कला के भीष्म कहे जाने वाले डॉ ज्योतिष चंद्र शर्मा की जयंती पर विशेष

Audio Book

ऑडियो सुनें

– मंजूषा लोककला, प्राचीन चंपा, ऐतिहासिक कर्णगढ़, अंग धूलिका पुस्तक रचना कर हुए थे मशहूर- बिहार रेशम एवं वस्त्र संस्थान, नाथनगर के प्रशासनिक पदाधिकारी रहे मंजूषा कला के भीष्म कहे जाने वाले डॉ ज्योतिष चंद्र शर्मा की जयंती पर विशेष

वरीय संवाददाता, भागलपुर

डॉ ज्योतिष चंद्र शर्मा ने अपना संपूर्ण जीवन अंग की लोक कला, साहित्य और संस्कृति को सहेजने-संवारने में गुजार दिया. न कोई हाव-भाव और न कोई महत्वाकांक्षा. आम आदमी व सादगीपूर्ण जिंदगी जीते रहे. इसके विपरीत मंजूषा लोक कला, प्राचीन चंपा, ऐतिहासिक कर्णगढ़, अंग धूलिका जैसी दर्जनों पुस्तकों की रचना व अंग क्षेत्र की कला-संस्कृति पर शोध करके वे मशहूर हुए. इतना ही नहीं राष्ट्रीय फलक पर फाइन आर्ट्स क्राफ्ट क्षेत्र में उपस्थिति दर्ज की और सम्मानित होकर भागलपुर को इसका गौरव दिलाया. स्वतंत्रता सेनानी लोकनाथ शर्मा व मीना शर्मा के पुत्र डॉ ज्योतिष चंद्र शर्मा अंग भूमि की प्रसिद्ध मंजूषा लोक कला के भीष्म पितामह के रूप में जाने जाते हैं. प्रदेश सरकार की ओर से उनकी कला समर्पण को देखते हुए सेवानिवृत्त होने के बाद बिहार ललितकला अकादमी के सदस्य सह समालोचक बनाया गया. ऑल इंडिया फाइन आर्ट्स एंड क्राफ्ट सोसाइटी, नई दिल्ली की ओर से नंदलाल बोस भेटरन आर्टिस्ट सम्मान से सम्मानित हुए. इसके अलावा राजभवन सम्मान, बिहार कला सम्मान मिला.

जीवन के अंतिम पड़ाव तक लोक कला साहित्य पर लिखते रहे डॉ ज्योतिष

साहेबगंज के आगे नसरतखानी चंपानगर के मूल निवासी डॉ शर्मा ने अंग की प्रसिद्ध लोक कला मंजूषा चित्रकला पर काफी काम किया. बिहार रेशम एवं वस्त्र संस्थान नाथनगर के प्रशासनिक पदाधिकारी के रूप में सेवा देते हुए स्थानीय लोक कला के प्रति चिंतनशील रहे. डॉ शर्मा के नजदीकी रहे वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता जगतराम साह कर्णपुरी ने बताया कि 1942 में जन्मे डॉ ज्योतिष चंद्र शर्मा अपने उम्र के अंतिम पड़ाव 2020 तक लोक कला साहित्य संस्कृति पर लिखते रहें. उनकी लिखित प्रथम मंजूषा लोक कला पुस्तक मंजूषा चित्रकला चिंतकों के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है. यह पुस्तक लोक कथा बिहुला विषहरी की प्रचलित गीत पर आधारित है. कर्णपुरी ने कहा कि मंजूषा चित्रकला लोक कथा बिहुला विषहरी पर आधारित है.

90 चित्र बना कर दिया था बिहुला विषहरी गाथा को रूप

प्राचीन चंपा डॉ ज्योतिष चंद्र शर्मा की लिखी पुस्तक चंपा की प्राचीन इतिहास, धर्म, संस्कृति और भौगोलिक परिवेश को समेटती हुई अद्वितीय पुस्तक है. जगतराम साह कर्णपुरी ने बताया कि 80 वर्ष की उम्र में भी डॉ ज्योतिष चंद्र शर्मा ने अपनी लेखनी को बंद नहीं किया. उन्होंने लगभग 90 चित्र बना कर बिहुला विषहरी गाथा को रूप दे चुके थे, परंतु 2021 में आकस्मिक निधन के कारण चित्रकथा प्रकाशित नहीं हो सकी.

डॉ ज्योतिष चंद्र शर्मा ने मुंबई के एक फिल्म निर्माता के कहने पर बिहुला विषहरी पर फिल्म की पटकथा भी तैयार किया, जो किताब के रूप में प्रकाशित भी हो चुका था. निजी कारण से फिल्म निर्माता से तर्कसंगत समझौता नहीं होने से यह कार्य अधूरा रह गया. अंग की सांस्कृतिक विरासत और धरोहर पर अनवरत कार्य होते रहे, इसके लिए उन्होंने समाज के प्रबुद्ध लोगों को साथ लेकर चंपा सांस्कृतिक मंच जैसे संस्थानों में काम किया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel