नाथनगर. चंपानगर के प्राचीन विषहरी मंदिर में दूसरे दिन भी डलिया चढ़ाने को लेकर लोगों की भीड़ उमड़ी. कतारबद्ध होकर श्रद्धालुओं ने माता को डलिया चढ़ाया. शाम चार बजे चंपानगर विषहरी मंदिर समिति की ओर से हल्दी डलिया चढ़ाया गया. पंडित संतोष झा ने रीति रिवाज के साथ देवी को हल्दी डलिया चढ़ा कर विदाई की रस्म अदा की. वहीं मनसा देवी व सती बिहुला-बाला लखेंद्र सहित विभिन्न प्रतिमाओं की विसर्जन यात्रा रात्रि करीब 12 बजे निकाली गयी. सभी प्रतिमाओं का विसर्जन चंपानगर बड़ी ठाकुरबाड़ी के सामने स्थित श्यामपुर घाट में किया गया. साथ ही मंजूषा व बारी कलश भी विसर्जित की गयी. वहीं श्रद्धालु अपने सिर पर बारी कलश व मंजूषा को लेकर चल रहे थे. विसर्जन शोभायात्रा की अगुवाई मंदिर के पंडा संतोष झा कर रहे थे. ढोल, गाजे-बाजे के साथ विसर्जन यात्रा घाट पहुंची. देर रात तक चंपानदी में विसर्जन किया गया. इधर दोपहर तीन बजे से देर रात तक चंपापुल घाट पर विभिन्न इलाकों के मंदिर व पूजा पंडालों में स्थापित मंजूषा व बारी कलश का विसर्जन किया गया. विभिन्न मंदिरों से परंपरागत तरीके से भगत के साथ मंजूषा विसर्जन जुलूस गंगा नदी की ओर रवाना हुआ. जगह-जगह श्रद्धालु अपने और परिवार की सलामती के लिए भगत से आशीर्वाद मांग रहे थे. मंजूषा और नाग कलश यानी बारी कलश का विसर्जन करने के बाद भगत स्नान कर अपने-अपने विषहरी मंदिर लौट गये. मंजूषा, कलश व भगत विसर्जन को लेकर मार्ग में जगह-जगह जल सेवा शिविर लगाया गया. मेले में शांति व्यवस्था व यातायात बाधित न हो इसको लेकर पर्याप्त महिला व पुरुष पुलिस बल की तैनाती की गयी थी.
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