-निगम के खाते में 250 करोड़ रुपये से अधिक की राशि है उपलब्ध, यूडीएचडी भी जारी करता रहा है फंड
नगर निगम की पांच महत्वपूर्ण निर्माण योजनाएं ठेका एजेंसियों की रूचि नहीं लेने से अधर में लटकी हुई है. लगातार प्रयासों के बावजूद अब तक किसी भी योजना के लिए एजेंसी का चयन नहीं हो सका है. इस स्थिति का सीधा असर शहरवासियों की सुविधाओं पर पड़ रहा है. योजनाओं के लिए फंड की कमी नहीं है. निगम के खाते में 250 करोड़ रुपये से अधिक की राशि उपलब्ध है. साथ ही नगर विकास एवं आवास विभाग समय-समय पर अतिरिक्त धन भी जारी कर रहा है. इसके बावजूद ठेका एजेंसी योजनाओं में रुचि नहीं ले रही है.
ठेका एजेंसियों की रुचि नहीं लेने से निर्माण कार्यों में देरी का कारण बन रही है, जिससे आम नागरिकों को मूलभूत सेवाओं का लाभ समय पर नहीं मिल पा रहा है. निगम प्रशासन अब तक कोई वैकल्पिक उपाय भी तलाश नहीं सकी है.मार्केटिंग कॉम्प्लेक्स के लिए सालभर बाद भी डीपीआर एजेंसी नहीं मिली
शहर में तीन जगहों पर प्रस्तावित मार्केटिंग कॉम्प्लेक्स का निर्माण डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार होने के बिना शुरू नहीं हो पा रहा है. इसके लिए नगर निगम ने कई बार टेंडर जारी किये, लेकिन ठेकेदारों की रुचि न होने के कारण हर बार प्रक्रिया रद्द करनी पड़ी.अब निगम ने दोबारा प्रयास तेज किया है और अड़घड़ा स्थित जमीन पर मार्केटिंग कॉम्प्लेक्स की डीपीआर बनाने के लिए कंसल्टेंट एजेंसी चयन की प्रक्रिया शुरू की है. वहीं, अन्य दो स्थानों के लिए प्रक्रिया फिलहाल ठप है.नगर निगम के नये कार्यालय भवन का डीपीआर अधर में, प्रक्रिया ठप
नगर निगम का नया कार्यालय भवन प्रस्तावित है, लेकिन इसका डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) अब तक तैयार नहीं हो सकी है. इसके लिए कंसल्टेंट एजेंसी का चयन भी अधूरा है. पहले दिल्ली की एक एजेंसी को डीपीआर तैयार करने के लिए चयनित किया गया था, मगर बाद में उनसे दोबारा संपर्क नहीं किया गया. अब यह तर्क दिया जा रहा है कि सरकार की ओर से मॉडल एस्टिमेट तैयार होकर आयेगा, लेकिन इसकी कोई हलचल अब तक नहीं हुई है. नतीजा यह है कि न तो चयनित एजेंसी से एस्टिमेट बनवाया जा सका और न ही सरकार की ओर से कोई एस्टिमेट उपलब्ध हुआ. इस वजह से नगर निगम का नया कार्यालय भवन निर्माण प्रस्ताव फिलहाल कागजों तक ही सीमित है.
ढेबर गेट का निर्माण और कुआं मरम्मत की योजना लंबित
नगर निगम की 82 कार्यों की योजना बनायी थी, जिसमें 80 जगहों पर सड़क व नाला निर्माण था और बाकी दो जगहों में एक ढेबर गेट और दूसरा कुओं का मरम्मत कार्य शामिल था. सड़क व नाला निर्माण के लिए निविदा की प्रक्रिया पूरी हो गयी है लेकिन, ढेबर गेट और कुआं मरम्मत की योजना लंबित ही रह गयी. ढेबर गेट निर्माण की योजना पहले ही ड्रॉप कर दिया था. अब इसका न तो दोबारा में डीपीआर बना और न ही कोई एजेंसी बहाल हो सकी.चौराहों का विकास की योजना अधूरी
नगर निगम ने सात चौराहों के विकास की योजना का खाका तैयार किया था. इसमें से सिर्फ खलीफाबाग और स्टेशन चौक को सिर्फ ऊपरी तौर पर चमकाने की कोशिश की गयी. यह इसलिए कि महापुरुषों की प्रतिमा है. इसके अलावा जीरोमाइल की सिर्फ मापी ही करायी जा सकी है. लंबे समय बाद भी इस पर कोई काम नहीं हो सका. वहीं, कोतवाली और आमदपुर चौक सहित कचहरी चौक उपेक्षित हैं.
लोहिया पुल के नीचे सौंदर्यीकरण कार्य भी रह गया अधूरा
लोहिया पुल के नीचे भी सौंदर्यीकरण कार्य की प्लानिंग अधूरी रह गयी. जबकि, इसके साथ लोहिया पुल को चमकाने की योजना बहुत पहले पूरी हो चुकी है. टाइल्स बिछायी गयी है. रंग-रोगन कराया गया है. लाइटिंग व्यवस्था दुरुस्त की गयी है. वहीं, पुल के नीचे छोटा सा पार्क भी डेवलप नहीं कर सका है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

